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Monday, July 11, 2016

दुनिया एक सराय (धर्मशाला) है

दुनिया एक सराय (धर्मशाला) है
             एक राज्य में एक राजा रहता था जो बहुत घमंडी था । उसके घमंड के चलते आस पास के राज्य के राजाओं से भी उसके संबंध अच्छे नहीं थे । उसके घमंड की वजह से सारे राज्य के लोग उसकी बुराई करते थे । एक बार उस गाँव से एक साधु महात्मा गुजर रहे थे उन्होंने ने भी राजा के बारे में सुना और राजा को सबकसिखाने की सोची।साधु तेजी से राजमहल की ओर गए और बिना प्रहरियों से पूछे सीधे अंदर चले गए । राजाने देखा तो वो गुस्से में भर गया ।

राजा बोला – ये क्या उदण्डता है महात्मा जी, आप बिना किसी की आज्ञा के अंदर कैसे आ गए?
साधु ने विनम्रता से उत्तर दिया – मैं आज रात इस सराय में रुकना चाहता हूँ । राजा को ये बात बहुत बुरी लगी वो बोला -महात्मा जी ये मेरा राजमहल है कोई सराय नहीं ,कहीं और जाइये ।
साधु ने कहा – हे राजा , तुमसे पहले ये राजमहल किसका था ?
राजा – मेरे पिताजीका , साधु – तुम्हारे पिताजी से पहले ये किसका था ?
 राजा – मेरे दादाजी का । साधु ने मुस्करा कर कहा – हे राजा, जिस तरह लोग सराय में कुछ देर रहने के लिए आते है वैसे ही ये तुम्हारा राज महल भी है जो कुछ समय के लिए तुम्हारे दादाजी का था , फिर कुछ समय के लिए तुम्हारे पिताजी का था , अब कुछ समय के लिए तुम्हारा है,कल किसी और का होगा , ये राजमहल जिस पर तुम्हें इतना घमंड है ये एक सराय ही है जहाँ एक व्यक्ति कुछ समय के लिए आता है और फिर चला जाता है ।साधु की बातों से राजा इतना प्रभावित हुआ कि सारा राजपाट ,मान सम्मान छोड़कर साधु के चरणों में गिर पड़ा और महात्मा जी से क्षमा मांगी और फिर कभी घमंड ना करने की शपथ ली ।मित्रों ,ये कहानी मात्र नहीं है बल्कि इस कहानी में एक बहुत
          बड़ी सीख छुपी हुई है। ये दुनिया एक सराय के समान है जहाँ कुछ लोग रोज आते हैं और कुछ लोग रोज जाते हैं ।
           अच्छी सोच रखिये , अच्छे काम करिये क्यूंकि इस सराय से एक दिन सबको जाना है|

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