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Wednesday, July 27, 2016

किसान के बेटे ने भरी हौंसलो भरी उड़ान Entrepreneur Story

 
      

              बुद्धि प्रकाश ठाकुर को आज भी वे दिन अच्छी तरह से याद हैं, जब उनका मकान सिर्फ एक कमरे का हुआ करता था। हिमाचल प्रदेश के खखनाल गाँव में एक कमरे वाले इसी मकान में पूरा परिवार रहता था। बूढ़ी दादी, माता-पिता, दो बहनें और बुद्धि प्रकाश- यानी पूरे 6 लोग एक ही कमरे में उठते-बैठते, जागते-सोते थे। एक कमरे वाले इस मकान का दरवाज़ा जब अंदर से खुलता तो सामने एक बरामदा होता। यही बरामदा एक कमरे वाले मकान को विस्तार देता और इसमें परिवार के कई काम होते थे।गर्मी के दिनों में बरामदे का भरपूर फायदा उठाया जाता, लेकिन ठंड के मौसम में एक कमरे का मकान ही सभी को महफूज़ रखता था। मज़बूत हड्डियों को भी कंपकंपा देने वाली खखनाल गाँव की ठंड में परिवार एक ही कमरे में अपने को समेेटे रखने पर मजबूर था। इसी एक कमरे के मकान से अपनी कारोबारी यात्रा शुरू करने वाले बुद्धि प्रकाश आज हिमाचल प्रदेश के उसी खखनाल गाँव में एक शानदार Resort के मालिक हैं और इस Resort में 55 कमरे हैं। बुद्धि प्रकाश की कहानी एक कमरे के मकान से 55 कमरों वाले शानदार Resort मालिक बनने तक की ही नहीं है। 
              ये कहानी और भी आगे की है। ये कहानी एक ग़रीब किसान के बेटे के करोड़पति कारोबारी बनने की है। सैलानियों की सहूलियत के लिए एक मामूली से इंसान के निजी स्तर पर, बतौर Operator, विमान-सेवा शुरू करने वाले हिमाचल प्रदेश के पहले Entreprenuer बनने की है। बुद्धि प्रकाश ठाकुर का जीवन और उनकी कामयाबियाँ एक मिसाल हैं। उनकी कामयाबी की कहानी असंख्य लोगों को प्रेरणा देने का माद्दा रखती है। संघर्ष और अथक प्रयास से मिली कामयाबी की इस कहानी में लोगों को सीखने के लिए बहुत कुछ है।
            कामयाब उद्यमी और कारोबारी बुद्धि प्रकाश की कहानी हिमाचल प्रदेश के खखनाल गाँव से शुरू होती है। उनका जन्म इसी गाँव के एक ग़रीब किसान परिवार में हुआ। पिता के पास 7 बीघा ज़मीन थी और इसी ज़मीन पर खेती-बाड़ी कर वे अपने परिवार को चलाते थे। बुद्धि प्रकाश ने छोटी-सी उम्र में ही खेती-बाड़ी में अपने पिता का हाथ बटाना शुरू कर दिया था। वे गायों को चराने पहाड़ पर ले जाते थे। पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ बुद्धि प्रकाश ने खेत में जुताई, निराई, बुआई और कटाई का काम भी सीख लिया था। धान के खेतों में पिता का साथ देने में बुद्धि प्रकाश को बहुत मज़ा आता था।पिता भी हमेशा बुद्धि प्रकाश के कामकाज और उनके ज़िम्मेदाराना व्यवहार से बहुत खुश रहते थे। दसवीं की पढ़ाई पूरी होते ही इंटर की पढ़ाई के लिए पिता ने अपने लाड़ले बेटे को चंडीगढ़ भेज दिया। बुद्धि प्रकाश ने चंडीगढ़ के D.A.V स्कूल से ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान भी वे जब कभी अपने गाँव आते खेती-बाड़ी और दूसरे कामकाज में अपने पिता की मदद करना नहीं भूलते थे।


           बुद्धि प्रकाश के पिता बहुत ही मेहनती इंसान थे। बुद्धि प्रकाश के पिता का जीवन संघर्षों से भरा था। उन्होंने अपने घर-परिवार को चलाने के लिए लोक-निर्माण विभाग में दिहाड़ी मज़दूर के तौर पर भी काम किया था। हालात उस समय से सुधरने लगे जब बुद्धि प्रकाश के पिता ने सेब के बाग़ किराये पर लिए और सेब की खेती भी शुरू की। पिता ने अपने सेब के कारोबार को धीरे-धीरे विस्तार देना शुरू किया। सेब के कारोबार को विस्तार देने में बुद्धि प्रकाश ने बड़ी भूमिका अदा की। इसी दौरान बुद्धि प्रकाश और उनके पिता ने लकड़ी का भी कारोबार शुरू किया। सेब के निर्यात के लिए ज़रूरी लकड़ी के डिब्बे बनाते हुए बुद्धि प्रकाश और उनके पिता ने अपने घर-परिवार की आर्थिक स्थिति मज़बूत की। लकड़ी का कारोबार करने की सलाह बुद्धि प्रकाश के पिता को उनके ससुर से मिली थी। ससुर के पास लकड़ी काटने की मशीन थी, जो उन्होंने अपने दामाद को दे दी थी। इसी मशीन से सेब की डिब्बे बनाते हुए भी बुद्धि प्रकाश के पिता ने अपने कारोबार को विस्तार दिया।ग्रेजुएशन के लिए बुद्धि प्रकाश ने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के Goverment Collage Of Men में दाख़िला लिया, लेकिन, गाँव में बढ़ते कारोबार की वजह से उन्हें B.A.के Reguler में दो साल पूरे करने के बाद तीसरे साल की पढ़ाई को Corresponders  के ज़रिए पूरा करना पड़ा। खेती-बाड़ी, सेब की खेती और फिर लकड़ी के डिब्बे बनाने का कारोबार करने के बाद बुद्धि प्रकाश को लगा कि अगर वे Hotel के कारोबार में आएँ तब उन्हें खूब फायदा होगा। बुद्धि प्रकाश का गाँव मनाली से केवल 9 किलोमीटर दूर था। बुद्धि प्रकाश बचपन से ही देखते आ रहे थे कि हरसाल हज़ारों सैलानी मनाली और हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों और पर्यटक-स्थलों को आते हैं। बुद्धि प्रकाश ये भी ग़ौर करते आये थे कि हिमाचल आने वाले सैलानियों की संख्या साल दर साल लगातार बढ़ती जा रहीहै। सैलानियों की वजह से होटल का कारोबार भी लगातार बढ़ता चला जा रहा है। इसी तथ्य ने बुद्धि प्रकाश के कारोबारी दिमाग में नए विचार को जन्म दिया। विचार था अपना खुद का Hotel खोलना और सैलानियों को शानदार सुविधाएँ देते हुए कारोबार करना।
              Hotel खोलने के सपने ने बुद्धि प्रकाश की नींद-चैन उड़ा दी। अपने सपनेको साकार करने के लिए उन्होंने जी-जान लगा दिया। 1996 में बुद्धि प्रकाश ने अपने गाँव खखनाल में ‘Sarthak Resort’ की नींव रखी। सैलानियों के ठहरने के लिए कमरे बनाने का काम भी शुरू हुआ, लेकिन काम शुरू करने के बाद अहसास हुआ कि Hotel खड़ा करना आसान काम नहीं है। पूँजी की किल्लत की वजह से कमरे बनाने का काम बीच में कुछ महीनों के लिए रोकना पड़ा। पूँजी की किल्लत इस वजह से भी आयी थी कि उस साल फसल खराब हो गयी थी। कमरों का काम रुका ज़रूर था, लेकिन बुद्धि प्रकाश का सपना जिंदा था। उन्होंने ठान ली थी कि वे Hotel का कारोबार हर हाल में करेंगे। इस सपने ने उन्हें चैन की नींद सोने नहीं दी। 1999 में आख़िरकार निचली मंजिल पर पांच कमरे बनकर तैयार हुए। सैलानी आकर बुद्धि प्रकाश के Resort में ठहरने लगे। बुद्धि प्रकाश ने विदेशी सैलानियों के लिए ख़ास इंतज़ाम किये हुए थे। उन्होंने कुछ कमरों में रसोई घर भी बनाया था, ताकि विदेशी सैलानी अपनी मन-मर्ज़ी के हिसाब के अपने पकवान बनाकर खा-पी सकें। बुद्धि प्रकाश का ये Idea चल पड़ा। शुरुआती दौर में बुद्धि प्रकाश ने एक कमरे का किराया 1200 रुपये प्रति माह रखा। ज्यादा दिन रहने वाले सैलानियों को ख़ास छूट दी गयी। दो साल तक इसी तरह कारोबार चला। 2001 में ‘Sarthak Resort’ को नया आयाम मिला। बुद्धि प्रकाश को जब ये पता चला कि Youth Hostel Association Of India ने एक नयी Skim शुरू की है, तब उन्हें लगा कि ये उनके लिए अपने कारोबार को बड़ा करने का शानदार मौका है। बुद्धि प्रकाश ने बिना समय गँवाए Youth Hostel की Franchise के लिए आवेदन कर दिया। बुद्धि प्रकाश के Resort को Franchise मिल भी गया। Youth Hostel के नियमों के मुताबिक बुद्धि प्रकाश को अपने Resort में Dormitory यानी ख़ास छात्रावास बनवाना पड़ा। बुद्धि प्रकाश ने Sarthak Resort में 40 बिस्तर वाली Dormitory बनवाई। Franchise और Dormitory की वजह से Sarthak Resort में आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ती चली गयी। साथ ही साथ उसकी लोकप्रियता भी खूब बढ़ने लगी। हालात ने बुद्धि प्रकाश ने सपने को नए पंख दिए। साल 2004 में उन्होंने Sarthak Resort में 10 नए कमरे जोड़े, जिससे Resort मैं कमरों की संख्या बढ़कर 15 हो गयी। साल 2006 बुद्धि प्रकाश के कारोबारी जीवन में नयी रोशनी लेकर आया। इसी साल उन्हें कोलकाता Trade Fair में हिस्सा लेने का मौका मिला। कोलकाता Trade Fair में बड़े-बड़े Hotel ने अपने Stall लगाए थे। इस Trade Fair में हिस्सा लेने से बुद्धि प्रकाश को बहुत फायदा हुआ। यहाँ उन्होंने Hotel कारोबार की बारीकियों को जाना और समझा। उन्हें अहसास हो गया कि 15 कमरों वाले Resort से कारोबार को बढ़ाया नहीं जा सकता है। कमरे ज्यादा होंगे तो Marketing करने में आसानी होगी। कोलकाता Trade Fair में बुद्धि प्रकाश ने Marketing के गुर भी सीख लिए थे।
         कोलकाता से वापस लौटने के बाद उन्होंने खखनाल में अपने Resort में एक और मंज़िल बनवा दी। इससे Resort में कमरों की संख्या बढ़कर 25 हो गयी। साल 2009 में Resort की Building को एक और मंज़िल ऊंचा किया गया। अब कमरों की संख्या बढ़कर 35 हो गयी। इसके बाद भी विस्तार का काम जारी रहा। Resort में साल 2010 में 9 और 2011 में 12 नए कमरे जोड़े गए और Resort में कमरों की संख्या बढ़कर 55 हो गयी। और इसी के साथ, कभी एक कमरे में अपने भरे-पूरे परिवार के साथ ग़रीबी के थपेड़े खाते हुए गुज़र-बसर करने वाला एक सामान्य किसान का बेटा 55 कमरों वाले शानदार Resort का मालिक बन गया ।


              Resort में कमरों की संख्या बढ़ाते रहने के बावजूद चुनौतियाँ कम नहीं हुई थीं। संघर्ष जारी था। चूँकि सभी सैलानी सीधे मनाली जाते थे खखनाल को पर्यटन के नक़्शे पर लाना आसान नहीं था। चुनौती ये भी थी कि मनाली से पूरे 9 किलोमीटर दूर बने Resort की ओर सैलानियों को आकर्षित करना भी मुश्किल काम था। बुद्धि प्रकाश के लिए सबसे फ़ायदेमंद बात ये थी कि जिस जगह उनका Resort बना, वो काफी सुन्दर जगह है। Resort से प्राकृतिक सौन्दर्य का भरपूर आनंद लिया जा सकता है। बुद्धि प्रकाश ने सैलानियों को आकर्षित करने के लिए न सिर्फ रहने और ठहरने का बढ़िया इंतज़ाम किया बल्कि खान-पान और आसपास के रमणीय स्थानों तक सैलानियों को ले जाने के लिए ख़ास इंतज़ाम भी किये। बुद्धि प्रकाश ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर Trade और Tourism से जुड़े बड़े-बड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और अपने ‘Sarthak Resort’ का प्रचार किया। बुद्धि प्रकाश की मेहनत रंग लाई और उनका प्रयास सार्थक साबित हुआ। सार्थक रिसोर्ट की वजह से खखनाल गाँव पर्यटन के नक़्शे पर आ गया। बड़ी बात ये भी थी कि बुद्धि प्रकाश के परिवार और सारे खानदान में किसी ने भी कारोबार नहीं किया था। सभी पूर्वज किसान थे और खेती-बाड़ीही जीवन का आधार थी, लेकिन बुद्धि प्रकाश ने परंपरा तोड़ी और एक नयी परंपरा का आगाज़ किया। इससे भी बड़ी बात ये है कि जब बुद्धि प्रकाश ने Hotel कारोबार में कदम रखा था तब वे इस कारोबार के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे, लेकिन उन्होंने जो कुछ अपनी नज़रों से देखा, उससे बहुत कुछ समझा था और कारोबार करने का साहस जुटाया था।
               मनाली में Hotel न शुरूकर अपने गाँव में Resort बनवाकर उसे मशहूर करते हुए बुद्धि प्रकाश ने अपनी उद्यमिता का भी परिचय दिया। बुद्धि प्रकाश ने बताया, “मुझे Hotel के कारोबार की ABCD भी नहीं मालूम थी। मैंने देखा था कि हिमाचल में सैलानी बहुत आते हैं और इन सैलानियों की वजह से सारे होटल भरे रहते हैं। सैलानियों की लगातार बढ़ती संख्या ने मुझे भी होटल के कारोबार में उतरने के लिए प्रेरित किया। मैंने एक-दो साल में अपना कारोबार नहीं जमाया है, मैंने कदम दर कदम तरक्की की है।”साल 2009 में बुद्धि प्रकाश ने ‘Himachal Holidays’ के नाम से एक और कंपनी शुरू की। इस कंपनी में उनकी पत्नी भी Director हैं। ‘Himachal Holidays’ को शुरू करने का मकसद सैलानियों को उनकी सुविधा और बजट के अनुसार अलग-अलग Packages के ज़रिए हिमाचल की यादगार और शानदार सैर करवाना है। Hotel Industry में अपने पाँव जमा लेने और कामयाबी की एक अनूठी कहानी लिख लेने के बाद बुद्धि प्रकाश एक और बड़ी नायाब कहानी लिखने को तैयार हुए। कारोबार करते-करते बुद्धि प्रकाश ने धन-दौलत और शोहरत खूब कमा ली थी। धन-दौलत की वजह से परिवार की ग़रीबी दूर हुई। जिस खखनाल गाँव में एक कमरे के मकान में रहने को मजबूर थे, उसी गाँव में बुद्धि प्रकाश ने अपनी मेहनत और उद्यमिता ने न सिर्फ 55 कमरों वाला Resort बनाया बल्कि अपने परिवार के लिए शानदार मकान भी बनवाया। बुद्धि प्रकाश ने घर के बड़े लड़के होने के नाते अपनी ज़िम्मेदारियाँ भी बखूबी निभायीं। बुद्धि प्रकाश की दो बड़ी बहनें, एक छोटा भाई और एक छोटी बहन हैं। कामयाब कारोबारी बनने के बाद बुद्धि प्रकाश ने अपने छोटे भाई को पढ़ाई के लिए Australia भेजा। चार साल तक Australia में पढ़ाई करने के बाद छोटे भाई जब स्वदेश लौट आये तब बुद्धि प्रकाश को लगा कि दोनों भाइयों का मिलकर Hotel कारोबार करना परिवार की ताकत को एक ही जगह सीमित करना होगा। बुद्धि प्रकाश ने जमे-जामये Hotel कारोबार की बड़ी जिम्मेदारियां अपने छोटे भाई को सौंपकर कुछ नया और बड़ा करने की सोची।इसी सोच-विचार में बुद्धि प्रकाश ने वो करने का फैसला लिया, जो कि पूरे हिमाचल प्रदेश में किसी ने भी नहीं किया था। बड़े-बड़े कारोबारियों ने भी ये काम करने का साहस नहीं जुटाया था। बुद्धि प्रकाश ने हवाई-यात्रा सेवा के कारोबार में कदम रखने का फैसला लिया था। फैसला सामन्य नहीं था। साहसी फैसला था। कारोबार में जोखिम बहुत था। किसी के पास इस कारोबार को हिमाचल में निजी तौर पर, बतौर Operator, करने का अनुभव भी नहीं था, लेकिन बुद्धि प्रकाश ने ठान ली थी कि वे अपने सपनों का नए पंख लगाकर ऊंची उड़ान भरेंगे और हवाई-यात्रा सेवा का कारोबार में करेंगे। इस साहसी फैसले के पीछे एक ख़ास वजह भी थी। बुद्धि प्रकाश बताते हैं,“हिमाचल प्रदेश बहुत ही सुन्दर राज्य है। यहाँ पहाड़ हैं, नदियाँ हैंऔर बर्फ भी है। मैंने दुनिया के कुछ देशों की सैर की और मैं अपने अनुभव के आधार पर ये कह सकता हूँ कि हिमाचल जितना सुंदर प्रदेश और कोई नहीं है, लेकिन हिमाचल की सबसे बड़ी समस्या Connectivity है। Rail सेवा है ही नहीं और हवाई सेवा नाम-मात्र के लिए है। अगर आपको हिमाचलप्रदेश में कहीं जाना है तो सिर्फ सड़क-मार्ग से ही जाना होगा। चूँकि सारा इलाक़ा पहाड़ी क्षेत्र है, सड़क से सफ़र आसान नहीं है और एक जगह से दूसरी जगह पहुँचने में घंटों लग जाते हैं। मुझे लगा कि हवाई-सेवाएँ शुरू कर Connectivity की समस्या को दूर किया जा सकता है।और, इस समस्या के दूर होने पर ज्यादा से ज्यादा सैलानी हिमाचल आ-जा सकते हैं। ”सैलानियों की सहूलियत के मकसद से बुद्धि प्रकाश ने विमानन उद्योग में अपने कदम रखे। अपने एक साथी मित्र के साथ मिलकर उन्होंने एक कंपनी बनाई नाम रखा Himalayan Bulls Pvt Ltd और फिर 'AIR HIMALAYA’ के नाम से हवाई-यात्रा सेवा की शुरुआत करने का फैसला लिया, लेकिन काम आसान नहीं था। इरादा नेक था और हौसला बुलंद, लेकिन विमान के मालिक बुद्धि प्रकाश को अपने विमान देने के लिए राज़ी नहीं थे। विमान मालिकों के लिए एक बिलकुल नई कंपनी पर विश्वास करना मुश्किल था। ये स्वाभाविक भी था और इसकी वजह ये भी थी कि बुद्धि प्रकाश की कंपनी को विमानन उद्योग में किसी तरह का कोई अनुभव हासिल नहीं था। नए-नवेले लोगों के भरोसे विमान सौंपना मालिकों को जोखिम भरा काम लग रहा था, लेकिन बेंगलुरु की ‘Deccon Charter’ ने बुद्धि प्रकाश के हौसले की दाद दी और विमान किराये पर दिया। 2 अप्रैल, 2014 बुद्धि प्रकाश के जीवन में ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। इसी दिन ‘Air Himalaya’ के पहले विमान ने उड़ान भरी और बुद्धि प्रकाश के एक बड़े सपने को साकार किया।  जैसे ही पहले विमान ने उड़ान भरी बुद्धि प्रकाश की खुशी की कोई सीमा नहीं रही। विमान की उड़ान के साथ ही बुद्धि प्रकाश के सपनों को नए और मज़बूत पंख मिल गए। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में भी ये अनोखा दिन था। पहली बार किसी निजी कंपनी ने Business की Charter सेवा शुरू की थी। बुद्धि प्रकाश की ख़ुशी ज्यादा दिन तक नहीं रही। Air Himalaya’ ने साल 2014 में 2 अप्रैल से लेकर 31 जुलाई तक सैलानियों को चंडीगढ़ और कुल्लू के बीच हवाई-यात्रा सेवाएं दीं, लेकिन बहुत कम सैलानियों ने इस हवाई-यात्रा सेवा का लाभ उठाया। बुद्धि प्रकाश को उम्मीद थी कि 9 सीटों वाला विमान हर बार पूरा भरा हुआ ही जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


           बुद्धि प्रकाश कहते हैं, “मैंने Innovation Sector  की ‘ABCD’ सीखे बगैर इसमें कदम रखा था। हमारी Marketing भी सही नहीं थी। सैलानियों से वेसा Response नहीं मिला जैसी की उम्मीद थी। पहला साल हमारे लिए बहुत खराब था।”हकीकत ये थी कि पहले साल की हवाई-यात्रा सेवा की वजह से बुद्धि प्रकाश की कंपनी को करीब डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये रही कि वे नुकसान से तिलमिलाए नहीं। उनके हौसले बुलंद रहे। उन्हें लगा कि पहले साल के अनुभव से उन्होंने बहुत कुछ सीखा और वे इस बार की ग़लतियाँ दुबारा नहीं करेंगे। इसी दौरान बुद्धि प्रकाश को ये आभास हुआ कि हिमाचल प्रदेश में Aviation Fuel यानी Value Added Tax 27%  है और अगर इस Tax को घटा दिया जाता है तो यात्री भाड़ा कम होगा और लोग हवाई-यात्रा की ओर आकर्षित होंगे। बुद्धि प्रकाश ने एविएशन फ्यूल पर वैट कम करवाने के लिए कोशिशें शुरू कर दीं। अकेले दम पर की गयीं इन कोशिशों का नतीजा ये हुआ कि Aviation Fuel पर Vat को 27% से घटाकर 1%  कर दिया गया। इससे Aviation Fuel की कीमत 75 रुपये के घटकर 45 रुपये हो गयी। बुद्धि प्रकाश ने नए जोश के साथ हवाई-यात्रा सेवा के दूसरे साल में क़दम रखा, लेकिन, कुछ कारणों से उनके साथी मित्र ने उनका साथ छोड़ दिया, लेकिन वे निराश नहीं हुए और आगे बढ़े। साल 2015 में बुद्धि प्रकाश ने अपनी एक दूसरी कंपनी Himachal Holidays के ज़रिए Pinnacle Air Pvt ltd.  से करार किया। फैसला लिया गया कि 10 अप्रैल को हवाई-यात्रा सेवा शुरू की जायेगी। Online Booking भी शुरू हो गयी, लेकिन कुछ कारणों से Pinnacal  कंपनी विमान नहीं भेज पायी। 10 से 21 अप्रैल तक की Booking Cancle करनी पड़ी और यात्रियों को उनके रुपये वापस लौटाने पड़े।उस दिन को अपने कारोबारी जीवन का सबसे दुखद दिन बताते हुए बुद्धि प्रकाश ने कहा, “मैं यात्रियों का दर्द समझ सकता था। हम पर विश्वास जताकर लोगों ने कई दिनों पहले बुकिंग करवाई थी। विमान-सेवा रद्द होने की वजह से यात्रियों को बहुत परेशानी हुई। वैसे तो हमने ही उनकी यात्रा का बंदोबस्त किया, लेकिन मुझे बहुत दुःख हुआ।” बुद्धि प्रकाश को डर इस बात का भी था कि इस घटना की वजह से कहीं उनकी कंपनीकी विश्वसनीयता पर प्रश्न-चिह्न न खड़ा हो जाय।बड़ी बात ये भी है कि यात्रियों का विश्वास बनाये रखने के लिए बुद्धिप्रकाश ने एक यात्री की बुकिंग होने पर भी विमान उड़ाया था। अगर वे चाहते तो विमान के आधा भी न भरा होने की वजह से उस दिन की विमान-सेवा को रद्द कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया था। बुद्धिप्रकाश साल 2015 में 10 अप्रैल को विमान-सेवा शुरू नहीं कर पाए थे, लेकिन उनके अथक प्रयास की वजह से 22 अप्रैल को विमान-सेवा शुरू हुई और 25 जून तक चली। दूसरे साल भी बुद्धि प्रकाश को घाटा हुआ। साल 2015 में घाटा 25 लाख रुपये के आसपास था।  लगातार दो सालों के घाटे के बावजूद बुद्धि प्रकाश ने हार नहीं मानी। तीसरे साल उन्होंने हैदराबाद की ICIC Technology Ltd. के साथ करार किया। साल 2016 में ‘Air Himalay’ के विमान ने 29 मई से10 जुलाई तक उड़ान भरी। इस साल बुद्धि प्रकाश ने शिमला और धर्मशाला के बीच भी विमान चलाने के लिए बुकिंग शुरू की थी, लेकिन इस Sector में एक भी बुकिंग नहीं हुई, जिसकी वजह से उन्होंने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया। फिर बुद्धि प्रकाश ने पूरे उत्साह के साथ चंडीगढ़-शिमला और चंडीगढ़-कुल्लू के बीच विमान-सेवाएँ प्रदान कीं।  जहाँ बुद्धि प्रकाश को ‘Air Himalay’ की वजह से पहले साल में डेढ़ करोड़ और दूसरे साल में पच्चीस लाख रुपये का नुकसान हुआ वहीं तीसरे साल उन्हें न नुकसान हुआ न ही कोई फायदा। तीन साल के अनुभव से बुद्धि प्रकाश ने बहुत कुछ सीखा है और उन्होंने ठान ली है कि वे ‘Ait Himalay’ की उड़ान जारी रखेंगे।बुद्धि प्रकाश इन दिनों ‘Ait Himalay’ के लिए Funding जुटाने की कोशिश में हैं। उन्हें यकीन है कि Funding होने पर वे हिमाचल प्रदेश में हवाई-यात्रा सेवा को नयी और ऊंची मंज़िल पर पहुंचा सकते हैं। वे कहते हैं, “मेरी कुछ सीमाएँ हैं। अगर हमें Funding मिल जाए तो हम बड़ी कामयाबी हासिल कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में Aviation Sector  में Growth की संभावनाएँ बहुत ही ज्यादा हैं।” ख़ास बात ये भी है एक ग़रीब किसान के घर में जन्म लेने के बावजूद विमान-सेवा शुरू कर अपने कारो बारी जुनून का परिचय देने वाले बुद्धि प्रकाश ठाकुर ने बड़े सपने देखना बंद नहीं किया है। विमान मालिकों के नख़रों के परेशान बुद्धि प्रकाश अपने बल बूते ही विमान खरीदने का सपना सजोये हुए हैं। इतना ही नहीं, उनका इरादा Hotel कारोबार में भी बड़े पैमाने पर विस्तार करने का है। वे जल्द ही मनाली में ‘Sarthak Regency’ के नाम से एक बड़ा शानदार Hotel शुरू करने की तैयारी में हैं।  अगर आंकड़ों की बात की जाए तो बुद्धि प्रकाश का ‘Sarthak Resort’ सालाना 2 करोड़ रुपये और उनकी ‘Himachal Holidays’ डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है।बुद्धि प्रकाश की एक और बड़ी दिलचस्प बात ये भी है कि ज़मीन पर खेतों में किसानी से शुरू किये अपने सफ़र को आकाश में विमान-सेवा तक की ऊंचाई तक ले जाने के बावजूद वे अपने जीवन में सादगी बनाये हुए हैं। वे अब भी ज़मीन से जुड़े हुए हैं और नया इतिहास लिखने के बावजूद उनमें न रौब है न ठाट-बाट। सीधा-सादा जीवन है, लेकिन सपने और विचार बहुत ही बड़े हैं। बुद्धि प्रकाश की एक और बड़ी खासियत ये है कि वे हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इतना ही नहीं पर्यटन-उद्योग से जुड़े Hotel -मालिकों,कर्मचारियों, वाहन-मालिकों, दुकानदारों, छोटे-बड़े कारोबारियों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष और आन्दोलन करते रहते हैं। बुद्धि प्रकाश आथित्य-क्षेत्र में इतना रम और जम चुके हैं कि हिमाचल प्रदेशआने वाले सैलानियों की मेहमाननवाज़ी को नए आयाम पर पहुंचाने में भी कोई कोर-कसर बाक़ी नहीं छोड़ रहे हैं। मौजूदा समय में उनका संघर्ष रोहतांग पास पर प्रति दिन की वाहन-सीमा को बढ़ाने के लिए है। रोहतांगपास में पर्यावरण को पेट्रोल और डीज़ल के वाहनों से होने वाले नुकसानसे बचाने के लिए बुद्धि प्रकाश Electrical वाहन हिमाचल मंगवाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। रोहतांग पास के नज़ारे देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी वहाँ आते हैं, लेकिन प्रति दिन की वाहन सीमा तय होने की वजह से कई लोगों को निराश लौटना पड़ता है। बुद्धि प्रकाश नहीं चाहते हैं कि हिमाचल आने वाला कोई भी सैलानी निराश लौटे।
       दोस्तों ये कहानी को आपके सामने पेश करने में मुझे अरविन्द यादव जी ने मदत की है, और कुछ अन्य Site के माध्यम से  लिखी गयी है ShubhamZope की टीम की ओर से में उनको धन्यवाद देता हु। और भी ऐसी प्रेरणादायक कहानिया अगर आपके पास है तो ई मेल के जरिये  हमें लिख कर भेजिये हम आपकी कहानी Artical जरूर हमारे Blog पर पेश करेंगे |

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