यह घटना उन दिनों की है जब इंगलैंड में डॉक्टर एनी बेसेंट अपने वर्तमान जीवन के प्रति निराश थीं। और एक सार्थक जीवन जीने की ललक उनके ह्दय में तीव्रता से उठी थी। एक दिन अंधेरी रात्रि सभी परिवारजन गहारी नींद में सोए हुए थे। केवल वही जाग रही थीं और आत्मा की शांति के लिए इतनी बचैन हो उठी कि इस जीवन से भाग जाने का ख्याल मन में लाकर सामने रखी जहरकी शीशी लेने के लिए चुपके-से उठीं, लेकिन तभी किसी दिव्य-शक्ति की आवाजने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया – 'क्यों, जीवन से डर गई? सत्य की खोज कर।' ये सुनकर वह चौंक गई, ‘अरे यह आवाज किसकी है? कौन मुझे भागने से रोक रहा है?’ उन्होंने उसी समय निश्चय कर लिया –'सार्थक जीवन'(Meaningful life)के लिए मुझे संघर्ष करना ही होगा।'सत्य की खोज के लिए वे अपना परिवार, सुख-सम्पत्ति आदि सब कुछ छोड़कर भारत आ गई। उन्होंने साध्वी जैसा जीवन यहां ग्रहण किया और विश्व को भारतीय जीवन-दर्शन के रंग में रंग देना ही अपना मुख्य उद्देश्य बना लिया। उनकी मृत्यु भारत में हुई थी
निष्कर्ष:
अंधकार से प्रकाश की ओर जाने के लिए भी मनुष्य को संधर्ष करना पड़ता है, जिसके दौरान वह अपनी शुद्ध चेतना से समर्पण-भाव को जाग्रत कर जीवन-लक्ष्य की प्राप्ती कर लेता है। ऐसे संघर्षवान व्यक्ति की ईश्वर भी सहायता करता है, बशर्तें वह सच्ची लगन व उत्साह के साथ सार्थक जीवन के प्रति संकल्पकृत है और उसकी आँखें निर्धारित लक्ष्य पर केन्द्रित हैं।
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