चार्ली चैपलिन आज ये नाम सुनते ही हमारे सबके चेहरे पे एक स्मिथ हस्य आता है इस दुनिया के रंगमंच पर लोगो इ दिलो में बैठने वाले इस व्यक्ति को शत-शत् नमन ये उनके लाइफ की सबसे आखिरी भाषण था जो उन्होंने अपने 70 वे जन्मदिन पर सन 1940 में दिया था।
तो आईये पढ़ते है अपने 70 वे जनम दिन के शुभ अवसर पर उन्होंने क्या भाषण दिया था।
चार्ली चैपलिन :-
मुझे माफ किजिये, मैं सम्राट बनना नहीं चाहता, यह मेरा बिज़नस (व्यवसाय) नहीं है। मैं किसी पर हुकूमत नहीं करना चाहता, किसी को हराना नहीं चाहता। मुमकिन होतो हर किसी की मदद करना चाहूँगा – युवा, बूढ़े, काले और गोरे हर किसी की। हम सब एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं, इंसान की फितरत यही है। हम सब एक दूसरे के दुःख की किमत पर नहीं, बल्कि एक दूसरे के साथ मिल कर खुशी से रहना चाहते हैं। हम एक दूसरे से नफरत और घृणा नहीं करना चाहते। इस दुनिया में हर किसी के लिए गुंजाइश है और धरती इतनी अमीर है कि सभी कि जरूरतें पूरी कर सकती है।। जिन्दगी जीने का तरीका आजाद और खूबसूरत हो सकता है। लेकिन हम रास्ते से भटक गये हैं। लालच ने इन्सान के जमीर को जहरीला बना दिया है, दुनिया को नफ़रत की दीवारों में जकड़ दिया है, हमें मुसीबत और खून-खराबे की हालत में धकेल दिया है। हमने रफ़्तार विकसित की है, लेकिन खुद को उसमें जकड़ लिया। मशीनें बेशुमार पैदावार करती है, लेकिन हम कंगाल हैं। हमारे ज्ञान ने हमें पागल बना दिया है, चालाकी ने कठोर और बेरहम बना दिया है। हम सोचते ज्यादा है और महसूस कम करते हैं। मशीनों से ज्यादा हमें इंसानियत की जरूरत है, चालाकी की बजाए हमें नेकी और दयालुता की जरूरत है। इनखूबियों के बिना जिन्दगी हिसा से भरी हो जायेगी और सब कुछ खत्म हो जाएगा।…..
हवाई जहाज और रेडियो ने हमें एक दूसरे के करीब ला दिया। इन खोजों की प्रकृति इंसानों से ज्यादा शराफत की माँग करती है, हम सभी की एकता के लिए दुनिया भर में भाईचारे की माँग करती है। इस समय भी मेरी आवाज दुनिया भर में लाखों लोगों तक पहुँच रही है, लाखों निराश-हताश मर्दों, औरतों और छोटे बच्चों तक, व्यवस्था के शिकार उन मासूम लोगों तक, जिन्हें सताया और कैद किया जाता है।
जिन लोगों तक मेरी आवाज पहुँच रही है, मैं उनसे कहता हूँ कि
– निराश न हों। जो बदहाली आज हमारे ऊपर थोपी गयी है वह लोभ-लालच का, इंसानों की नफ़रत का नतीजा है जो इंसानों को एकजुट होने से रोकता है। लेकिन एक दिन लोगों के मन से नफरत खत्म होगी ही, तानाशाहों की मौत होगी और जो सत्ता उन लोगों ने जनता से छीनी है, उसे वापस जनता को लौटा दिया जायेगा। और आज भले ही लोग मारे जा रहे हों लेकिन उनकी आज़ादी कभी नही मरेगी।सिपाहियो! अपने आप को धोखेबाजों के हाथों मत सौंपो......
–जो लोग तुमसे नफरत करते हैं
–तुम्हें गुलाम बनाकर रखते हैं
–जो खुद तुम्हारी ज़िंदगी के फैसले करतेहैं
–तुम्हें बताते हैं कि तुम्हें क्या करना है
–क्या सोचना है और क्या महसूस करना है
–जो तुम्हें खिलाते हैं
–तुम्हारे साथ पालतू जानवरों और तोप के चारे जैसा तरह व्यवहार करते हैं। अपने आप को इन बनावटी लोगों
– मशीनी दिल और मशीनी दिमाग वाले इन मशीनी लोगों के हवाले मत करो।
तुम मशीन नहीं हो! तुम पालतू जानवर भी नहीं हो! तुम इन्सान हो! तुम्हारे दिलों में इंसानियत के लिए प्यार है। तुम नफरत नहीं करते! नफरत सिर्फ वे लोग करते हैं जिनसे कोई प्यार नहीं करता, सिर्फ अप्रिय (जो प्यारे नही होते) और बेकार लोग। सिपाहियों! गुलामी के लिए नहींआजादी के लिए लड़ो। वे अध्याय में लिखा है की,“भगवान का साम्राज्य इंसान के भीतर ही है”
– यह साम्राज्य किसी एक इंसान या इंसानों के समूह के भीतर नही बल्कि सभी इंसानों के भीतर भगवान का साम्राज्य बसा हुआ है। तुम में भी। तुम में ही मशीनों को बनाने की शक्ति है। उसी तरह खुशियाँ बनाने की शक्ति भी तुममे ही है।तुम में ही अपने जीवन को सुंदर और मुक्त बनाने की शक्ति है, तुम ही अपने जीवन को सुंदर और मनोरंजन से भरा बना सकते हो।तभी लोकतंत्र के नाम में
–क्यु ना सभी को एकजुट करने के लिए एक शक्ति का उपयोगकिया जाये। क्यु न एक ऐसी दुनिया के लिए लडे – जो अच्छी दुनिया सभी इंसानों को काम करने के मौके दी।
–जो देश के युवाओ का भविष्य साकारे और वृद्ध लोगो को बुढ़ापे में सुरक्षित रखे। इस वादे के साथ क्रूर लोग अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश करेंगे। लेकिन वे उस समय झूट बोलते रहेंगे क्योकि वे कभी अपने वादों को पूरा नही कर सकते।तानाशाह ने खुद को मुक्त कर दिया है
लेकिन लोगो को दास बना दिया है। तो क्यु ना उसके वादों को पूरा करने के लिए लड़ा जाए। इस दुनिया को मुक्त करने के लिए लड़े
–इस राष्ट्रिय सीमाओ से मुक्त हो जाये
–लालच को दूर करे
–और नफरत और घृणा कोदूर करे प्यार भरे विश्व का निर्माण करे। सिपाहियों
–आओ लोकतंत्र के नाम पर हमसभी एकजुट हो जाये।चार्ली चैपलिन को विश्व सिनेमा का सबसे बड़ा कॉमेडियन माना जाता है। उनके जीवन में काफी मुश्किलें और विपरीत परिस्थितियाँ आती रही लेकिन फिर भी उन्होंने लगातार लोगो को हँसाने का काम शुरू रखा। उनका हमेशा से यही मानना था की,हँसी के बिना बिताया हुआ दिन बर्बाद किये हुए दिन के बराबर है।....
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