दोस्तों में Shubham SZee आप सबका तहे दिल से स्वागत करता हु इस Blog पे। आज एक ऐसी महिला Entrepreneur के बारे में बताने जा रहा हु, जो एक ज़माने में 2 रुपये रोज की सैलरी पर काम किया करती थी.
कुछ लोग अगर गरीब परिवार में होते हैं तो वे उसे अपनी किस्मत मान लेते हैं और पूरी जिंदगी गरीबी में ही बिता देते हैं। लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो हर तरह की परेशानियों से निकलकर अपनी किस्मत खुद बनाते हैं। वे न सिर्फ अपनी किस्मत बनाते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल बन जाते हैं। हम आपको ऐसी ही एक शख्स के बारे में बता रहे हैं, जिनका जन्म एक गरीब दलित परिवार में हुआ। कम उम्र में ही शादी हो गई और टूट भी गई। परिवार का पेट भरने के लिए रोज 2 रुपए की दिहाड़ी पर काम करना पड़ा। लेकिन, आज वह अपनी हिम्मत और Skill से 750 करोड़ की कंपनी की मालकिन बन चुकी हैं।
जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं Kamani Tubes की C.E.O. Kalpana Saroj की। आइए जानते है. कि कपड़ा मिल में कभी 2 रुपए रोज की सैलरी पर काम करने से कैसे बनाये करोडो रुपये।
कल्पना
सरोज का जन्म 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के छोटे से गाँव
रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता पुलिस हवलदार थे। उन
पर अपने अलावा अपने भाई के परिवारी का खर्च भी चलाने की जिम्मेदारी थी।
कल्पना के 2 भाई और 3 बहन भी थीं। मुश्किल से परिवार का गुजारा होता था।
पैसा नहीं था तो कल्पना को पढ़ने के लिए सरकारी स्कूल भेजा गया।
जब
कल्पना जी 12 साल की थीं तभी उनके पिता ने पढ़ाई छुड़वा दी। उस समय वह
7 वीं में पढ़ाई कर रही थीं। समाज के दबाव में आकर पिता ने कल्पना की शादी
12 साल की उम्र में ही उनसे बड़े लड़के से कर दी। लेकिन कल्पना के लिए शादी
का अनुभव बुरा रहा। ससुराल में इतना परेशान की गईं कि उन्हें मजबूरन पिता
के घर लौटना पड़ा।
उन्होंने
अपने चाचा के पास मुंबई जाने का फैसला किया। कल्पना के चाचा मुंबई के एक
स्लम बस्ती में रहते थे और पापड़ बेचकर गुजारा करते थे। कल्पना को सिलाई का
काम आता था, इसलिए उनके चाचा ने एक कपड़ा मिल में काम दिलाने ले गए।
हालांकि हड़बड़ाहट में कल्पना से सिलाई मशीन नहीं चल पाई। मिल के मालिक ने
पहले तो काम देने से मना कर दिया, लेकिन बाद में 2 रुपए रोजाना पर धागा
काटने का काम दे दिया।
सबकुछ
ठीक हो रहा था कि तभी एक ऐसी घटना घटी जिसने कल्पना जी को झकझोर कर रख
दिया। उनकी बहन बहुत बीमार रहने लगी और इलाज के पैसे न होने के कारण एक दिन
उसकी मौत हो गई। तभी कल्पना जी को यह अहसास हुआ कि गरीबी से बुरी कोई चीज
नहीं है। उन्होंने ठान लिया कि वह अपनपी गरीबी को किसी तरह खत्म करके
रहेंगी।
ऐसे बनीं कल्पना की पहचान
कल्पना
ने घर में ही कुछ सिलाई मशीने लगा लीं और 16-16 घंटे काम करने लगीं। कुछ
पैसे आए तो उन्होंने बजिनेस बड़ा करने की सोची। लेकिन जब लोने लेने की बारी
आई तो पता चला कि इसके लिए भी घूस देने पड़ते हैं। ऐसी समस्याओं से निपटने
के लिए उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया जो लोगों को सरकरी
योजनाओं के बारे में बताता था और लोन दिलाने में मदद करता था। धीरे-धीरे
ये संगठन काफी पॉपुलर हो गया और कल्पना की पहचान भी बनने लगी।
शुरू किया फर्नीचर का बिजनेस
कल्पना ने एक सरकारी योजना के तहत 50 हजार रुपए का कर्ज लिया और 22 साल की उम्र मे फर्नीचर का बिजनेस शुरू किया।
कल्पना ने बनाए 4.5 करोड़ रुपए
कल्पना
को एक प्लाट 1 लाख रुपए में मिला जिसपर कुछ विवाद था। बाद में विवाद
सुलझने के बाद प्लॉट की कीमत 50 लाख रुपए हो गई। कल्पना ने इस पर
कंस्ट्रक्शन कराने के लिए एक बिजनेसमैन से पार्टनरशिप कर ली। मुनाफे में 65
फीसदी कल्पना को मिले और उन्होंने 4.5 करोड़ रूपए कमाए।
कुछ लोग अगर गरीब परिवार में होते हैं तो वे उसे अपनी किस्मत मान लेते हैं औ पूरी जिंदगी गरीबी में ही बिता देते हैं। लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो हर तरह की परेशानियों से निकलकर अपनी किस्मत खुद बनाते हैं। वे न सिर्फ अपनी किस्मत बनाते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल बन जाते हैं। और ऐसे लोग ही इतिहास रचते है।
और आखिर में Subscribe करे और Share करे धन्यवाद।
कुछ लोग अगर गरीब परिवार में होते हैं तो वे उसे अपनी किस्मत मान लेते हैं औ पूरी जिंदगी गरीबी में ही बिता देते हैं। लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो हर तरह की परेशानियों से निकलकर अपनी किस्मत खुद बनाते हैं। वे न सिर्फ अपनी किस्मत बनाते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल बन जाते हैं। और ऐसे लोग ही इतिहास रचते है।
और आखिर में Subscribe करे और Share करे धन्यवाद।
No comments:
Post a Comment