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Sunday, July 23, 2017

Sub-Conscious Mind की शक्ति को पहचानो और आगे बढ़ जाओ


             नमश्कार दोस्तों मैं हूँ Shubham आप सभी का स्वागत करता हूँ इस Blog पर, हमेशा की तरह एक नई उमंग के साथ आपके लिए हाजिर हूँ। दोस्तों हमारे Life में कई ऐसी कुदरती शक्तिया अक्सर हमें महसूस को मिलती है जिनका पता लगा पाना बेहद मुश्किल है। मगर हमको इस बात का यानी इन कुदरती शक्तियों का अगर हम सही तरीके से एहसास कर ले तो निश्चीत ही वो दिन ज्यादा दूर नहीं है जो दुनिया में हर कोई आपको देख के बोलेगा की मुझे भी इसके जैसा (Successful) बनाना है। जी हां आपने सही पढ़ा जो मैंने यहाँ लिखा है। चलिए ज्यादा समय न लेते हुए सीधे Point पर आता हूँ।



              दोस्तों हमारा मन एक ऐसा बन्दर है जो इधर-उधर भागने में हमेशा कामियाब रहता है और ये बात आप अच्छी तरह से जानते है। दोस्तों इस बन्दर को दो Parts में अगर Divide करे तो इसके दो नाम निकल कर सामने आते है।  जिसका पहला नाम चेतन मन (Conscious Mind) और दूसरा नाम अवचेतन मन (Sub-Conscious Mind) है। आपने यह बात Notice की होंगी तो आपको शायद समझने में आसानी होंगी की अपने Life में आज जो कुछ भी हो रहा है, हो चुका है या फिर होने वाला है उसके पीछे आप मानो या ना मनो लेकिन ये बिलकुल सच है की इन सब बातो के पीछे कही न कही हमारा Mind ही रहता है। और बात की जाए Successful होने की तो उसके पहले अपने Mind को बहुत ही गहराई से हमको समझना होगा। मेरी जानकारी के हिसाबसे चेतन मन की शक्ति सिर्फ 10% ही होती है, उसके मुताबिक अवचेतन मन की शक्ति 90% होती है। आपके Daily Life में आप जो कुछ भी निर्णय लेते हो उसमे चेतन मन का उपयोग होता है। आपके निर्णय, आपके Body Actions, आपका Judgment ये सब चेतन मन पर निर्भर करता है। और हां ये तभी काम करता है जब तक आप जागते रहते हो, जब आप सो जाते हो तो ये भी सो जाता है।


               दूसरा अवचेतन मन (Sub-Conscious Mind) जिसकी शक्ति 90% है, इसलिए अवचेतन मन की हमारे Life में बहुत ही अहम् भूमिका है। क्योकि ये चेतन मन के मुकाबले में बहुत ही ज्यादा Powerful है। अवचेतन मन (Sub-Conscious Mind) में हम असीमित ज्ञान, बुद्धि और अनंत ऊर्जा प्रभावित होती है। जिसके जरिये हमारे Body के कुछ Parts अपने आप काम करते है..... जैसे सोते हुए सपने देखना, श्वास लेना, दिल का धड़कना, देखना, सुनना और अपने Body के Temperature को नियंत्रित और समतोल रखना इतना ही नहीं अपने शरीर के अंदर की सब क्रियाये कम ज्यादा करने........ जैसे Blood Pressure,पाचन क्रिया आदि सब अवचेतन मन (Sub-Conscious Mind) पर निर्भर रहता है। अवचेतन मन हमारा विचार, अनुभव, संघर्ष आदि सब अपने अंदर Stored कर के रखता है। अवचेतन मन (Sub-Conscious Mind) कभी बंद नहीं होता या फिर आसान भाषा में कहा जाए तो ये कभी नहीं सोता। ये हर पल Alert रहता है जैसे आप जाग रहे हो या सो रहे हो इसको कुछ फरक नहीं पड़ता। ये हर पल जगा रहता है। अवचेतन मन को आप जो भी बताओगे I Mean आप जो कुछ भी सोचोगे ये बिलकुल वैसा ही करेगा। ये आपका वो गुरु है जो आपकी हर मनोकामना पूरी करता है। जैसे अक्सर आपने सूना होगा की भगवान् हमारे दिल में है। ये विषय बिलकुल वैसा ही है आप दुनिया की हर वो चीज पा सकते है जो आपने सोची है।  बस ये आप की सोच पर निर्भर करता है और शायद ही ऐसा हमेशा से कहा जाता है की आदमी की सोच हमेशा Positive होनी चाहिए। एक Example लेना चाहूंगा:-



               अगर कोई ये सोचता है की मेरी किस्मत हमेशा बुरी ही है और मेरे काम हमेशा उलटे ही होते है तो Indirectly ही सही वो अपने अवचेतन मन  (Sub-Conscious Mind) को ये बात बता रहा है की उसकी किस्मत हमेशा बुरी है और अवचेतन मन को सही गलत नहीं पता होता और फिर वह Directly आपके Life में वही तरीके से उन बातो पर Act करता है जैसे आपने सोचा है। 

     

             और अवचेतन मन की शक्ति को महसूस कर के अगर आप बिना अंधविश्वास के कर्म (Actions) भी करेंगे तो ही आपको हर वो चीज मिलेंगी जो आपने सोची होंगी नहीं तो कई लोग इसे Law Attraction मानते है लेकिन ये ऐसा नहीं  है अवचेतन मन से खाली उन चीजों पर हम Attract होते है जो हमने सोची है और वो Attraction हमको करम करने के लिए सकारात्मकता  दिलाता है ऐसा मेरा हमेशा से मानना रहा है। अवचेतन मन की एक खूबी है जिसका जिक्र में अभी अभी Example के दौरान भी कर चुका हु लेकिन फिर भी आपको सचेत करने के लिए एक बार फिर बता देता हु की अवचेतन मन कभी सही गलत नहीं समझता आप की उम्र कितनी है, या फिर आप छोटे बच्चे हो, या फिर बूढ़े हो उसको कोई फर्क नहीं पड़ता वो बस Robert के जैसे काम करता है। इसलिए मैं आपसे यहि दरख़्वास्त करूंगा की आप हमेशा Positive सोचे और अवचेतन मन का भरपूर फायदा उठाये और साथ में कर्म  करना ना भूले। कर्म के बारे में श्रीमद्भागवत गीता में भी कहा है की......





"कर्मणये वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन । मां कर्मफलहेतुर्भू: मांते संङगोस्त्वकर्मणि" ।। 

इस श्लोक का अर्थ :-

आप को अपने निर्धारित कर्तव्य का पालन करने का अधिकार है, लेकिन आप कभी कर्म फल की इच्छा से कर्म मत करो (कर्म फल देने का अधिकार सिर्फ ईश्वर को है)। कर्म फल की अपेक्षा से आप कभी कर्म मत करें, न ही आप की कभी कर्म न करने में प्रवृर्ति हो (आप की हमेशा कर्म करने में प्रवृर्ति हो) ।।"


कर्म का उपहार हमेशा हमको मिलता है ऐसा मैं दावे के साथ कहता हु। और आप करेंगे इसी विश्वास के साथ आपको अलविदा करता हु धन्यवाद।

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