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Thursday, July 6, 2017

कचरा उठाने से International Photographer बनने तक


            नमश्कार दोस्तों मैं हु Shubham आप सभी का स्वागत करता हु इस Blog पे। हमेशा की तरह एक नए  Article के साथ फिर से लौटा हु। दोस्तों Successful लोग हमेशा कहते है की कुछ कर गुजरने का जूनून अगर सर पर चढा हो, तो कभी Give Up नहीं करते। बस हम उस काम को अगर दिल से Continue करते है.... तो एक न एक दिन वह काम आपकी पहचान पूरी दुनिया से कराएगा। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो काफी गरीब Family से Belong करते है, अपना पेट भरने के लिए छोटे मोटे काम करते है और बादमे Successfull बन जाते है। बिलकुल उसी तरह Vicky Roy भी बहुत ही गरीब खानदान से थे। अपना पेट भरने के लिए Railway Station पर कचरा उठाया करते थे और उसे बेच कर अपना रोज का खर्चा निकालते थे। तो आईये जानते है की कचरा बेचते बेचते कब उनको Photography पसंद आने लगी और वह कैसे एक Successful International Photographer हो गए।  तो चलिए ज्यादा समय न लेते हुए शुरू करते है।




           Vicky को  बचपन से ही Photography करने का और घूमने फिरने का शौक था। Vicky का जन्म  West Bengal के एक छोटेसे गांव में हुआ था। Vicky के माता पिता बहुत ही गरीब रहने कारण वह Vicky का खर्चा उठा नहीं सकते थे। इसलिए उन्होंने पालन-पोषण के लिए Vicky को नाना-नानी के घर छोड़ दिया। नाना-नानी ने Vicky के साथ खूब अत्याचार किये, उनको छोटी-छोटी बातो पर पिटा जाता था। साथ ही घर का सारा काम उनसे करवाया जाता था। Vicky को घूमने फिरने का शौक था लेकिन उनके साथ ये सब होने के कारण उनकी हालात जेल में बंद कैदी जैसी हो गयी थी। और इससे आझादी पाने के लिए 1999 में Vicky अपने मामा की जेब से मात्र 900 रुपये चुराए और लेकर भाग गए। उनको कोई अंदाजा नहीं था क्या करे और कहा जाए ? तब उन्होंने Train पकड़ी और Delhi आ गए।  Delhi Station पर आते ही उनकी नजर भीड़ पर पड़ी और वह डर कर रोने लगे। तब उनकी मुलाकात Railway Station पर उन्ही की उम्र के बच्चोसे हुई जो Railway Station पर कचरा बीनते थे। Vicky की उन लड़को के साथ खूब जमी और उनसे दोस्ती कर के Vicky दिन भर उन लड़को के साथ रहने लगे। वह धीरे धीरे Railway Station से खाली Water Bottles बिन कर उस में पानी भर के बेचने लगे। साथ ही कचरा उठा कर कबाड़ी जैसे बेचने का काम भी उन्होंने किया। रात को वह Platform पे ही सो जाते थे। Checking के दौरान Police अक्सर डंडे मार कर भगा देती थी। यह सिलसिला बहुत दिनों तक चलता रहा लेकिन कुछ दिनों बाद एक NGO उन्हें अनाथालय ले गयी।




            अच्छा खाना पीना मिलने के साथ साथ उन्हें अच्छा वातावरण भी मिलने लगा नए दोस्त भी मिल गए।  लेकिन वह अनाथालय एक पिंजरे की तरह था। अनाथालय के Rules के हिसाबसे अनाथालाय से कोई बहार नहीं जा सकता था। दोस्तों मान कर चलो Vicky की हालत पिंजरे में बंद तोते की तरह हो गयी थी। जैसे उसको खाना पीना अच्छा तो मिलता है लेकिन Freedom नहीं मिलता।  और जैसे ही मैंने आपको Article के Starting में ही बताया था की Vicky को घूमने फिरने का बहुत शौक था।  तो ये शौक के रहते हुए Vicky ने अनाथालय से भागने का सोचा। कुछ ही दिन में Vicky अनाथालय से मौका देख कर भाग गए और फिर से Railway Station पर कचरा बीनने का काम करने लगे। साथ-साथ जैसे ही Vicky की उम्र बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे Vicky की सोच भी बड़ी होती जा रही थी। उसी दौरान Vicky को इस बात का अंदाजा हो गया की Life में कुछ बड़ा करना है तो कचरा उठाने से काम नहीं चलेगा। कुछ दिन बाद वह यह सब छोड़ कर Delhi के Restorent  में काम करने लगे। इस Restorent से Vicky को अपने जीवन के संघर्ष का अहसास हो गया। कड़ाके की ठण्ड में Vicky को सुबह 5 बजे उठा दिया जाता और रात के 12 बजे तक इनसे बर्तन धुलवाए जाते थे। दोस्तों सोचने वाली बात है..... 24 घंटो में से सिर्फ 5 घंटे ही Free उनको मिलते थे लेकिन वो भी केवल सोने के लिए। लेकिन कहीं न कहीं ऊपर वाला भी साथ देता है ऐसा मैंने सूना तो था लेकिन कभी Practically नहीं देखा था।




                   जी हाँ दोस्तों Vicky की उम्र के हिसाबसे उनकी मेहनत देख कर उस Restorent में Daily आने वाले एक भले इंसान ने उनसे बात कियी और पूछा की तुम्हारी उम्र पढ़ने लिखने की है और तुम ये काम कर रहे हो ???? Vicky ने अपने Past के बारे में सबकुछ बताते हुए... Vicky रो पड़े। तब वह इंसान ने Vicky को Salaam Baalak Trust जो अनाथ बच्चो के पालन-पोषण, Education का काम करती है और वहां उनको रहने के लिए छोड़ दिया। सन 2002 में Vicky का Admission 6th Class में करा दिया गया और Vicky तब से मन लगा कर पढ़ने लगे और Regular School जाने लगे।  सलाम बालक ट्रस्ट एक बहुत ही अच्छी संस्था थी जो बच्चो के खाने पिने के साथ-साथ बच्चो को क्या पसंद है और क्या नहीं ये सब ध्यान रखती थी। Vicky का मन वहा ठीक तरह से लगने लगा। Primary School की शिक्षा न ले पाने के कारन Vicky को 6th Class में केवल 48% आये।  तब Vicky ने अपने Photography Intrest के बारे में अपने Teachers से बात कियी। नसीब से उसी Time में Trust में एक Photography Workshop का आयोजन चल रहा था। जिसके लिए एक British Photographer Benjamin आये हुए थे। भले Teachers ने Vicky को Support करते हुए Vicky की मुलाक़ात Benjamin से करवाई और Vicky के Photography के Intrest के बारे मे बतया। Benjamin ने Vicky को थोड़ी बहुत Photography सिखाई लेकिन English न आने के कारण Vicky को ज्यादा कुछ समझ नहीं आया। धीरे-धीरे ही सही Vicky एक अच्छी Photography करने में माहिर हो गए। और कुछ दिन बाद  Delhi के महशूर Photographer एनी मान ने उनको 3 हजार रुपये Salary से Photography के लिए रख लिया। 18 साल की उम्र तक Vicky सलाम बालक ट्रस्ट में ही रहे। समय के आगे चलते ही वह किराये के मकान में रहने लगे। खुद के पास Camera की कमी देखते हुए उसी समय सलाम बालक ट्रस्ट से उन्होंने Nikon Camera खरीदने के लिए उन्होंने लोन लिया था। इसके लिए उन्हें 500 रुपये हर महीने की EMI देनी पड़ती थी और 2500 रुपये मकान का  Rent देना पड़ता था। बाकी जरूरतों के लिए Vicky Hotel  में वेटर का काम ही कर लिया करते थे। यह सिलसिला काफी दिन तक चलता रहा।




           सन 2007 में Vicky की उम्र 19 साल थी तब उन्होंने अपने बचाए हुए पैसो से खुद की Photography की प्रदर्शनी लगवाई जिसका नाम उन्होंने "Street Dreams" रखा था। यह प्रदर्शनी Vicky ने India Habitat Center में लगाई थी। इस प्रदर्शनी से उन्हें कई बड़ी बड़ी Agency के Projects मिले। वही Projects को पूरा करने के लिए वह London, Vietnam, South  Africa गए।  सन 2008 में वह New York गए और वहा 9/11 में तबाह हुई World Street Center Building के Reconstruction की Photography भी उन्होंने कियी। काम ख़तम होने के बाद Vicky वापस India लौट आये। India लौटने के बाद सलाम बालक ट्रस्ट ने उन्हें International Award For Young People से सन्मानित किया। जिसके बाद वह International Photographer बन गए। Vicky एक के बाद एक कामियाबी की सीढिया चढ़ते ही जा रहे थे।  तब उसी दौरान 2013 में Vicky को Top 8 Photographers में चुना गया जो Nat geo  (National Geographic Channel) Mission के Cover Shoot की Photography के लिए Srilanka गए। कामियाबी हासिल करने के बाद Vicky अपने माता पिता से मिले और उन्हें भी अपने साथ Delhi लेकर आ गए।

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