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Monday, September 26, 2016

क्षमा साधना एक जीवन का आधार


                 ये चार प्रकार के लोग है जो क्षमा साधना  करते है
१. जो जवान है -
         जो जवान है वह क्षमा साधना करेगा।  हम सभी को जवान बनाना है।  यहाँ जवान शब्द का सम्बन्ध उम्र से नहीं है।  जवान मतलब जिसके पास 'ज' है और ज का मतलब है जागृति।  जिसके पास धन होता है, वह धनवान।  जिसके पास बल होता है,  वह बलवान। उसी प्रकार जिसके पास जाग्रति का ज है, वह जवान। अगर दो लोगो में झगड़ा हो गया तो उनमे से क्षमा कौन मांगेगा ? जिसके पास जागृति है, जो होश में है और अपनीं जिम्मेदारी को समझता है।
         जो जवान नहीं है, वे लोग बस दोष निकलते  रहते है, दुसरो की गलतिया गिनते रहते है।  उदा. रास्ते ख़राब है, शहर में गन्दगी है, ट्रैफिक जाम हो रहा है, रिश्वतखोरी बढ़ रही है तो सर्कार जिमेदार है।  घर में सुख, चैन , शान्ति नहीं है तो घरवाले जिम्मेदार है।  इस तरह यदि हरेक बात के लिए कोई दूसरा जिमेदार है तो फिर हमारा जिम्मा क्या है ? दुसरो के दोष देखना? जी नहीं! हमारी जिमेदारी है की हम अपने  परख ले और देखे की इन सब गलत बातों में जाने अनजाने में हम भी तो शामिल नहीं हो रहे है ? व्यक्तिगत स्तर पर हम खुद के लिए जिमेदार होते ही है।  लेकिन पारिवारिक स्तर  पर एक पारिवारिक सदस्य के नाते, सामजिक स्तर पर शहरवासी होने के नाते, आर्थिक या आध्यात्मिक आदि सभी स्तरों पर हमारी कुछ जिम्मेदारी होती है।  जाग्रति के  साथ उसे जान ले, स्वीकार करे और निभाए तभी आप जवान होंगे।
२. खुदा से खुदाई करानेवाला -
        क्षमा साधना करनेवाले दूसरे वे  होते है, जो खुदा को साक्षीदार मानकर खुद की खुदाई करना चाहते है। अर्थत जो स्वयं को जानना चाहते है।  क्योकि बिन्सान में जब तक क्षमा भाव नहीं आ जाता तब तक उसके अंदर अहांकार, द्वेष, ईर्ष्या, घृणा, क्रोध जैसे अनेको विकार होते है।  जो उसके अंदर के असली मैं को अर्थात सेल्फ को, उसके अंदर स्थित ईश्वर को  रखते है।  जब तक क्षमा से अपने मन में खुदाई करके इन विकारो को हटाया नहीं जाता तब तक क्षमा से अपने मन में खुदाई करके इन विकारो को हटाया नहीं जाता तब तक उनके निचे दबे अपने असली स्वरुप को नहीं जाना जा सकता।  इसीलिए जो इंसान अपने असली स्वरुप में, सेल्फ पर स्थापित होकर रहना चाहता है, वह सदा क्षमा साधना करता है।
३. पेम के पक्षी-
            क्षमा साधना करनेवाले तीसरे वो  है, जो प्रेम पक्ष के होते है।  वे प्रेमधनु अलापनेवाले पक्षी होते है।  जहां प्रेम है वहाँ अहंकार, द्वेष, ईर्ष्या, घृणा, क्रोध नहीं रह सकते। अतः इनको हटाने का केवल एक ही मार्ग है, जो क्षमा साधना। इसीलिए प्रेम के पक्ष में रहनेवाले सदा क्षमा साधना करते है।

 ४. अदृश्य जगत के नियमो के ज्ञाता-
             बाहरी जगत के नियम तो आप जानते ही है क्योकि वह जगह-जगह पर लिखे होते है।  बार बार सुनाए जाते है।  अब यह अलग बात है उनका पालन कितने लोग करते है।  लेकिन विचार नियम अर्थात अंतर जगत या अदृश्य जगत के जो नियम है, वे दीखते नहीं और कोई उन्हें बताता भी नहीं।  जो नियम दिखाई देते है, उनका पालन करनेवाले भी काम लोग होते है।  तो जो नहीं दिखाई देता उनका पालन कैसे करेंगे ? उन्हें कैसे जानेंगे ?
              अदृश्य को समझना और मानना  कठिन होता है।  जिन्हें गुरु या सेल्फ, प्रकृति या ईश्वर पर पूरा विशवास है, वे ही इन्हें मानते है और जो मानने लगते है, वे उनका परिणाम भी पाते है।  उनके लिए सब कुछ आसान और सहज हो जाता है।  वे अपने विचारो पर काम कर , मानसिक कर्म करते है, प्रार्थनाएं, क्षमा साधनाऐं  करते है  और उन्हें बाहर अपने आप बदलाव होते दिखाई देते है।  उन्हें लोगो के साथ डांट-दपटकर संघर्ष के साथ काम नहीं करने  पड़ते।  ऐसे लोग क्षमा साधना करते है।
             अर्थात  जिन्हें तनाव रहित जीवन जीना है, अपने सारे कार्य सहजता से करने है, वे लोग विचार नियमो के अनुसार जिकर क्षमा साधना करते है।
             तो क्या आप भी हमेशा 'जवान' बनकर जीना चाहते है? क्या आप स्वयं को जानना? चाहते है ?  क्या आप सदा प्रेम के  पक्ष में जिकर कुदरत में निहित अदृश्य नियमो के रहस्य जानना चाहते है ? यदि आपका जवाब " हां "  है तो  क्षमा का जादू आपका जीवन प्रेम, आनंद, साहस, मौन, समृद्धि जैसे ईश्वरीय गुणों से भर देगा।
और आखिर में Subscribe करना ना  धन्यवाद।

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