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Thursday, June 8, 2017

Suicide करना चाहते है..? पहले ये पढ़े फिर निश्चय किजिये

जीवन से मत भागो, जिओ बड़े उद्देश्य के लिए



                नमश्कार दोस्तों मैं  Shubham आप सभी का स्वागत करता हूँ इस Blog पे। दोस्तों आज के Article का Title देखते ही आप आपको समझ आया होंगा की आज किस Topic पर में बताने जा रहा हूँ। तो चलिए शुरू करते है।  एक कहानी के माध्यम से Clear करना चाहूंगा तो  आपको समझने में आसानी होंगी।




                घटना उन दिनों की है जब England में Dr. Annie Besant अपने वर्त्तमान जीवन के प्रति निराश थी और एक सार्थक जीवन जीने की चाह उनके मन में तीव्रता से जाग उठी थी। एक दिन रात को सभी Family Members गहरी नींद में सोए थे, खाली  जाग रही थी  आत्मा की शांति के लिए इतनी बचैन हो उठी की इस जीवन से भाग जाने का ख्याल मन  में ला कर सामने राखी जहर की बोतल लेने के लिए चुपके से उठी, लेकिन तभी किसी दिव्य शक्ति की आवाज ने उन्हें आगे बढ़ने से रोका -  क्यों, जीवन से डर गई ? सत्य की खोज कर। ये सुनकर वह चौंक गई, अरे यह आवाज किसकी है ? कौन  है जो मुझे भागने से रोख रहा है ? उन्होंने उसी समय निश्चय कर लिया - "सार्थक जीवन के लिए मुझे संघर्ष करना ही होगा।" 
                सत्य की खोज में वह अपना परिवार, सुख, संपत्ति सब छोड़ कर India आ गई।  उन्होंने साध्वी जैसा जीवन यहाँ ग्रहण किया और विश्व को भारतीय जीवन-दर्शन के रंग में रंग देना ही अपना ही अपना मुख्य उद्देश्य बना लिया। उनकी मृत्यु India में ही हुई।



निष्कर्ष :- अंधकार से प्रकाश की और जाने के लिए भी मनुष्य को संघर्ष करना पड़ता है, जिसके दौरान वह अपनी शुद्ध चेतना से समर्पण-भाव  को जागृत कर जीवन-लक्ष्य की प्राप्ति कर लेता है।  ऐसे संघर्षवान व्यक्ति की ईश्वर भी सहायता करता है, बस शर्ते वह सच्ची लगन व उत्साह के साथ सार्थक जीवन के प्रति संकल्पकृत है और उसकी आँखे निर्धारित लक्ष्य पर केंद्रित है। 
दोस्तों हमेशा याद रखे.... 
           जीवन सहज नहीं, एक संघर्ष है। कठिनाइयां और बाधाएं जीवन के अंग है। इनसे भयभीत होकर कर्तव्य-पथ से प्कालायन कर देने का अर्थ होगा - अपने जीवन मूल्य को नष्ट कर देना। सत्य तो यह है की कठिनाइयों और दुःखो पर विजय प्राप्त करके ही मानव ने इस भौतिक संसार का इतना ऊँचा विकास किया है। जब कड़वी दवाई के सेवन से रोग का निदान जल्दी होता है, तब हम अपने जीवन लक्ष्य की सिद्धि में संघर्ष करने से क्यों कतराए? 
   

"Obstacles are those frightful thing you see when you take your eyes off your goal."  

दोस्तों भगवान् श्री रामचंद्र का Example लेते है।
             त्रेता युग में श्री रामजी को चौदाह वर्ष का वनवास मिला था और फिर लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्च्यात लौटने पर राजसिंघसन मिलते ही उन्हें सीताजी के निष्कासन पर अकेला जीवन लेना पड़ा था। वैसे ही द्वापर युग में श्री कृष्ण के होते हुए भी धर्मराज युधिष्टिर के साथ साथ पांचो पांडव भाइयो को बारह वर्ष का वनवास और साथ में एक वर्ष का अज्ञातवास झेलना पड़ा था। स्पष्ट है, यह जीवन का संघर्ष जब से धरती पर मनुष्य का जन्म हुआ है तब से चला आ रहा है और हां इससे कोई नहीं भाग सकता। सुन्दर जीवन के लिए हमें संघर्ष के बिच तो रहना ही होगा, बाधाओ को पार करते हुए आगे बढना होगा और तभी हम अपने जीवन-उद्देश्य की पूर्ती कर पाएँगे।

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