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Sunday, April 2, 2017

बड़ा लक्ष्य बड़ी सफलता

            नमश्कार दोस्तों मैं हु Shubham आप सभी का स्वागत करता हु इस Blog पे। दोस्तों आप सभी को पता ही है, की केवल जिद्दी आदमी ही इतिहास रचता है। तो ऐसे ही 3 जिद्दी लोगो के बारे में मैं आज आपको बताने जा रहा हु। जिन्होंने इतिहास तो रचा ही है और साथ में लोगो से प्यार भी पाया है। जी हां दोस्तों आईये उनके बारे में जानते है।
             हमारे देश के मुसलमान नाविक के बच्चे थे। जो पढाई में बहुत तेज थे। और आगे जा कर Scientist बने। Nasa छोड़ कर Isro में चले गए। क्योकि देश की सेवा करना चाहते थे।  उनको बड़े बड़े संशोधन केंद्र से offer आयी लेकिन उन्होंने देश के खातिर मना कर दिया। उनका कहना था कि मैं देश में ही रहूँगा और देश की सेवा करूँगा। और एक के बाद एक, एक के बाद एक, एक के बाद एक Missile बनाते चले गए और दुनिया को दिखा दिया की भारत के पास भी Science की ताकद है P.H.D. करना चाहते थे। नही कर पाएं लेकिन दुनिया भर में 40 Universities में उनकी PHD की Degree Recived कर ली और उनको Honorary दे दी। उसके बाद उनको भारत का राष्ट्रपति बनाया गया। जिन्हें आप और हम सब Dr. Apj Abdul kalam के नाम से जानते है।
 



            दोस्तों और एक व्यक्ति है। जिनकी जीवनी से मैं काफी inspire हुआ हूँ और मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। जो भागवत गीता को पूरी दुनिया में ले कर गए। भागवत गीता पर उन्ही की वजह से दुनिया में पहला Motivation Seminar हुआ। जिनका नाम AC Bhakti Vedanta Swami Shree Prabhu Paad है।


            70 साल की उम्र में बाकी सब तो Retire हो जाते है, लेकिन इन्होंने ने Retry करने की सोची। और अपनी जिंदगी को अलग की Kick दियी। दोस्तों 70 साल की उम्र में इन्होंने अपने गुरु का आदेश ले कर श्रीमद् भागवत गीता को पूरी दुनिया मैं पहुँचाने की ठान ली और निकल पड़े अपने लक्ष्य को ले कर। उसके बाद पहली बार प्रभुपाद America गये। उनको उसी के दौरान Heart Attack भी आया। उनको उनका शरीर साथ नहीं दे रहा था। ना उनके पास Seed Capital था, ना Growth Capital था सिर्फ 5 Doller थे। ना ही उनको Vanture Capitalist ने पैसा दिया था, ना ही किसी Bank ने Loan दिया था, ना उनके पास Employees थे, ना HR Policy थी और ना ही Incentive थे। बिना हाथ में कुछ लियें America चले गये। यही लक्ष्य को ले कर की मैं भागवत गीता को पूरे World में पहुचाना चाहता हु और उसके ठीक 12 साल बाद 108 मंदीर बनाए गए। जहाँ भागवत गीता की Training दियी जाती है। जिसमे Hindu, Muslim, Sikh, Cristine सब धर्मो के लोग थे। जो चाहते थे की भागवत गीता को पढ़ाया जाए। दोस्तों उन्होंने 70 साल की उम्र में 70 देशो में मंदीर बनाये उस समय न कोई Social Media Site था ना ही Transportation के कुछ साधन थे। वह रोज सिर्फ 2 घंटे सोते थे और 22 घंटे सेवा करते थे। आगे चलते ही 1970 में उन्होंने श्रीधाम वृन्दावन में समाधी ले लियी। आज भी पूरी दुनिया में Escon के मंदिर चल रहे है और लोग उनके नाम से भागवत गीता पढ़ रहे है। 



            चाणक्य पंडित की कहानी आपको पता ही होंगी लेकिन सोचा एक बार फिर बतादूँ। भारतवर्ष में धनानंद नाम का एक राजा था। जो प्रजा से कर (Tax) वसूल करता था और उससे जुए, सट्टे, लॉटरी में गवा देता था। तब उनको चाणक्य पंडित ने बताया कि राजन जनता से जो आप कर (Tax) वसूल करते हो उसे आपको जनता की ही सेवा में लगना चाहिये। तब चाणक्य की बात राजा को पसंद नही आयीं। और चाणक्य का राजा ने भरे दरबार में अपमान किया और राज दरबार से धक्के मारकर बहार निकाल दिया। तब उन्होंने संकल्प लिया की मैं जब तक इस राजा को बर्बाद करके नया राजा नहीं बिठाऊंगा और अंखड भारत का निर्माण नहीं करूंगा तब तक में शांत नहीं बैठूंगा। तभी तुरंत जा कर चाणक्य ने चंदू नाम के छोटे से बच्चे को उठाया और चंदू को चंद्रगुप्त नाम दिया। और वही चंदू आगे जा कर उस अखंड भारत का राजा चंद्रगुप्त मौर्य बना। दूसरी तरफ धनानंद राजा को उन्होंने नष्ट कर दिया, अखंड भारत का निर्माण किया और अपना संकल्प पूरा किया। दोस्तों केवल जिद्दी आदमी ही इतिहास रचता है और बाकी लोग तो सिर्फ आम जिंदगी गुजारते है।
          आखिर में यही कहना चाहूंगा जो आदमी बड़ा सोच सकता है, वो बड़ा कर सकता है। छोटी सोच और पाँव की मोच इंसान को कभी तरक्की की राहों पर चलने नहीं देती। धन्यवाद!

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