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Wednesday, December 7, 2016

Bollywood के नवाजुद्दीन की संघर्ष भरी कहानी


         नमश्कार दोस्तों मैं हु Shubham आप सभी का स्वागत करता हु इस Blog पे। दोस्तों आज की कहानी एक ऐसे actor की है जिसने अपनी Life में कभी हार नहीं मानी।
          नवाज ने संघर्ष के कई आयाम देखे है कड़ी चुनोतियो को उन्होंने face किया है। उनका कहना है की कभी पीछे पलटकर नहीं देखना चाहिए। अगर सफलता लेनी है तो नए आयामो की तरफ ध्यान देना चाहिए।
         किसी वक्त Bollywood में भिकारी और जेब कतरी का Role करते करते नवाजुद्दीन कब लोगो के पसंदिता कलाकार बन गए पता ही नहीं चला इसे आसान भाषा में कहा जाये तो ये कही न कही मिसाल है काबिलियत है दिलो में जज्बा है और उसे सच कर देने की क्षमता अपने अंदर है तो दुनिया का हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। इसके जीते जागते मिसाल है नवाजुद्दीन सिद्धकी


         नवाजुद्दीन का Filmy सफ़र एक छोटे से गाव से ले कर मुम्बई की चमक धमक तक निकल चूका है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर जिल्हे से 40 KM दूर लुवाना गाव के निजामुद्दीन का नाम उसी Filmy नगरी में चमकना शुरू हो गया जिस Filmy नगरी में शामिल होने के लिए लाखो लोग तरसते है। उनके पिताजी एक गरीब किसान थे। उनके पिताजी का कहना था की नवाजुद्दीन को अगर Film देखना होता था तो वह दिवाली या ईद के मौके पर पैसे जमा करना शुरू कर देते थे और Film देखने शहर जाते थे।
        नवाजुद्दीन ने अपनी पढाई मुजफ्फर नगर से करने के बाद ही Theater करना शुरू किया। छोटे-मोटे नाटक करने के बाद उन्हें महसूस हुआ की वो भी अभिनय कर सकते है। फिर क्या था, उनका ये Acting का जूनून बढ़ता चला गया। उसके बाद हरिद्वार के Collage से Graduate होने के बाद उन्होंने Chemist की नोकरी भी की थी, लेकिन Interest न होने के कारण वो भी उन्होंने छोड़ दी।
         उसके बाद नवाजुद्दीन Delhi आ गए और उन्होंने National School Of Drama में उन्होंने अपनी कला को तलाशा। फिर Delhi में ही वह छोटे-मोटे नाटक कर के गुजारा करते थे। साल 2000 में नवाजुद्दीन मुंबई गए। उनको उमीद थी की उनको जल्दी ही वह अच्छा काम मिल जायेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उनको TV Serials में भी काम नहीं मिलता था। उन्होंने एक Interview में बताया की मुंबई में करीब 5 साल तक मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा। TV Production House के चक्कर काटते रहे अपनी Photo हर जगह देते रहे, लेकिन कही से उमीद की किरण नहीं दिखी। कोई Role देने को तयार नहीं था। क्योंकि भिकारी के Role के लिए भी उन्हें 6 Feet का लंबा जवान चाहिए था, और में.......साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति ! और उनको Hero Material की तलाश रहती थी।



        जब नवाज मुंबई पहुँचे तब उनके पास घर का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं थे। फिर उन्होंने NSD (National School Of Drama)  से एक Senior की पनाह मांगी, लेकिन शर्त रखी की नवाज को ही खाना पकाना पड़ेगा। ये संघर्ष काफी समय तक चलता रहा उसके बाद फिर उनको Serials में Role मिलने शुरू हो गये। और उसके बाद उन्होंने फिल्मो में काम ढूंढना शुरू किया। लेकिन वह भी शुरुवाती दौर थोडा कठीन रहा। सरफ़रोश और मुन्नाभाई जैसे फिल्मो में उनका छोटासा Role किसी के नजर तक नहीं आया, वो बस एक धक्का मार और पाकीट मार के Role पर ही सिमित रह गए। फिर उन्होंने ये सोच कर Role किये की 1 Scean कर के उन्हें कई बड़ी भूमिका हाथ लगे। लेकिन जल्द ही नवाज को एहसास हुआ की उनको सिर्फ 1 Scean के Role के लिए ही बुलाया जाता है। तब उन्होंने तय किया की वह 1 Scean का Role नहीं करेंगे। फिर उन्होंने Anurag Kashyap की Film Black Friday और Dev-D में भी छोटे-मोटे Role अदाह किये। लेकिन बाद में उनको New York Film के लिए सरहाना हुई।
           नवाज बताते है की मुंबई में ये संघर्ष का ऐसा समय था की वह एक समय खाते तो दूसरी समय के लाले पड़ जाते थे। उन्होंने कई बार सब कुछ छोड़ के हार मान कर (Give Up) वापिस अपने गाव जाने की भी सोची! लेकिन तब उन्होंने सोचा की वापिस गाव क्या मुह ले कर जायेंगे....????  नवाज ने कभी अपनी परिस्थिति से कभी हार नहीं मानी और संयम रखा और उन्होंने तय किया की जिना और मरना मुंबई में ही होंगा। उसके बाद अनुराग कश्यप ने अपनी फ़िल्म Dev D के लिए काम दिया और उसके बाद New York फ़िल्म में भी उन्होंने अपना अभिनय अच्छेसे निभाया है और New York फ़िल्म के बाद उनको कई Film के Role के लिए बुलाया गया लेकिन हैरानी की बात ये है की वह सभी Role गुंडे और आतंगवादियों के थे। जिस वजह से उन्होंने कई Role करने से इंकार भी किया। लेकिन फिर उन्हें Amir Khan की Film पीपली लाइव में थोडा बेहतर किरदार मिला और सुजय घोष की कहानी में उनका काम सराहा गया उसके बाद Gangs Of Wasepur 1 और 2 में उन्होंने कमाल करके दिखाया। तब उन्हें रातोरात Side Stands Hero बनाया गया। अनुराग की film Miss Lovely में और उसके बाद Badalapur में भी उन्होंने अपने कला का कामाल करके दिखाया। और वही Bajarangi Bhaijan में  उनका Salman Khan के Suporting Role में भी उनकी वाह वाह हुई और वह लोगों के दिलो को छु गये।
इतनाही नहीं उनको कई Awards से नवाजा गया। जैसे.....
2013
Film - Talash
Zee Cine Award
For Best Suporting Actor

2013
Film - Gangs Of Wasepur 2
National Film Award
For Best Actor

2014
Film - The Lunchbox
Guild Award
For Best Suporting Actor

2016
Film - Badlapur
Guild Award
For Best Negative Role

2016
Film - Bajarangi Bhaijan
Star Screen Award
For Best Suporting Actor
      किसीने सच ही कहा है अगर हो कुछ कर गुजरने का जूनून तो दुनिया को भी और नसीब को भी आपके आगे झुकना पड़ता है।
और आखीर में Do Subscribe And Share .....धन्यवाद।

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