आप अपने जीवन में जो निर्माण करना चाहते है, उसकी रुपरेखा (मानसिक छवी) आपके विचारों में बहुत पहले से निर्माण हो चुकी होती है।
विश्व में हर चीज प्रकट रूप मेँ आने से पहले, उसका विचारों में निर्माण होता है। क्या आप सोच सकते है कि पेन का अविष्कार कैसे हुआ होगा? यकीनन किसी को लिखते वक्त यह विचार आया होगा कि 'बार-बार कलम को स्याही मेँ डुबोकर लिखने से स्याही सूखने लगती है, समय ज्यादा लगता है, कभी दवात के पलटने से ख़राब हो जाते है। यही स्याही अगर कलम के अंदर भरी होती तो कितना अच्छा होता!' और फाउंटन पेन का आविष्कार हुआ। अर्थात पेन अस्तित्व मेँ आने से पहले उसकी इच्छा और हलकी रुपरेखा किसी आविष्कारक के विचारो में पहले बनी।
किसी लिपिकार को पुस्तक की कई प्रतियाँ बनाते हुए विचार आया होगा कि 'हाथ से बार-बार लिखने के बजाय कोई ऐसा यंत्र हो, जिससे पुस्तक की कई प्रतियाँ छापी जा सके।' उस जरुरत से छपाई यंत्र यानी Printing Machine का आविष्कार हुआ।
विचार नियम के ये थे कुछ बाहरी Examples. परंतु इंसान की आध्यात्मिक उन्नति भी इसी नियम पर आधारित है। चलिए आपको एक कहानी सुनाता हु।
भगवान बुद्ध को एक कमजोर बूढ़ा, एक बीमार, मॄत्यु शैया पर लेटा एक शव और एक संन्यासी दिखा। इन घटनाओं ने उनके भीतर विचारो के कोलाहल को जनम दिया। वे विचार थे- "ऐसी कौन सी अवस्था है, जहाँ दुःख से पूर्णता मुक्त हुआ जा सकता है.....?" और वे दुःख मुक्त अवस्था की खोज करने निकल पड़े। भगवान बुद्ध के मन में दुःख मुक्त अवस्था की खोज करने निकल पडे। भगवान बुद्ध के मन में दुःख मुक्ति की अवस्था का अंतिम परिणाम पहले से ही जागृत हुआ था इसलिए उनके जीवन में सभी घटनाएँ भी उसी के अनुरूप हो रही थी। अंततः वे दुःख मुक्त अवस्था में स्थापित हुए, जिसे शब्दों में आत्मसाक्षात्कार कहते है।
तात्पर्य:- विश्व में, राज्य में, शहर में किसी भी वस्तु का निर्माण होने से पहले वह किसी न किसी के विचारो में पहले प्रकट होती है।
यदि आप कुछ निर्माण करना चाहते है तो कुदरत को बताएं क़ि 'मैं अमुक वस्तु चाहता हूँ साथ ही 'ताकि' शब्द जरूर जोड़े। जैसे-
● मैं अपने जीवन में सुन्दर गुण चाहता हूँ ताकि मेरी संपूर्ण अभिव्यक्ति हो।
● मैं अपने जीवन में धन-समृद्धि चाहता हूँ ताकी मेरे जीवन में संतुष्टि हो।
● मैं तेजप्रेम की समझ पाना चाहता हूँ ताकि मेरे रिश्ते और अधिक सुंदर बने।
● मैं जीवनरूपी पाठशाला का बेहतरीन छात्र बनना चाहता हूँ ताकि मेँ पृथ्वी से अपने सारे सबक सीखकर जाऊँ।
● मैं जीवन के सभी स्तरों पर विकास करना चाहता हूँ ताकि मेरे जीवन को सफल कहा जा सके।
विश्वास रखे, पृथ्वी पर कुछ लोग संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ पा रहे है। अगर यह कुछ लोगो के साथ संभव है तो आपके लिए भी संभव है। कुछ लोग अपनी कला को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहते हैं। कुछ लोगो ने अपने हुनर और गुणों की अभिक्याक्ति की है तो यक़ीनन यह आपके लिए भी संभव है।
और आखिर में अगर आपको ये Article अच्छा लगा तो अपनी राय दिजिये और Subscribe किजिये धन्यवाद।
Mujhe kya hai that this isn't important what you do
ReplyDeleteBut this is important what can u do