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-: सोच ऐसी जो आपमें बदलाव लाए :-

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Sunday, August 21, 2016

क्या सोचे और क्या नही And not what you think


              'उस पर ध्यान दे, जो आप नहीं चाहते बल्कि उस पर ध्यान दे, जो आप चाहते हैं।' अतः यह कभी न कहे- मुझे गरीबी चाहिए। इस गलत वाक्य के बजाय यह कहना शुरू करें- मुझे समृद्धि चाहिए।
इसी तरह मुझे उलझन नहीं चाहिए कहने के बजाय कहे, मुझे सुलझन का आनंद चाहिए।
              जाने - अनजाने, आदतवश इंसान कई बार ऐसी Negative पंक्तिया दोहराता रहता है - मुझे बीमारी नहीं चाहिए , अनचाहे मेहमान नहीं चाहिए..... मेरा  Accident न हो, मुझे भ्रस्टाचार न दिखे .......' इत्यादि। मगर अब क्या नहीं चाहिए के स्थान पर कुदरत को बताएं - मुझे क्या चाहिए ? ऐसा करने से अनजाने में आप अपने जीवन में जो भी गलत चीजो ला रहे है, वे चीजें आना बंद हो जाएँगी।
            अपने अपने आस-पास कुछ लोग देखे होंगे, जो डरे-डरे से सिकुड़कर जीवन जीते है। ऐसे लोग Negative शब्द बोल-बोलकर अपने जीवन में समस्याएं आकर्षित करते है। जैसे- कहीं मेरे बच्चे के साथ कुछ गलत न हो जाएं.....कही मेरा Accident न हो जाये .......कही मुझे फलाना बीमारी न हो जाये...... कही मै Fail न हो जाऊ..... आदी। फिर कुछ समय उनके जीवन में वैसी घटनाएं होने लगी तो इसमे आश्चार्य करने वाली कोई बात नहीं है।
              इसलिए जब भी आपसे Negative शब्द निकले, कही एसा न हो.... तब तुरंत सजग हो जाएं और क्या हो, यह कुदरत को बतायें। यदि आपको डर है कि आपके बच्चे आपको छोड़कर चले न जाएँ तो आप अपने विचार बदले और कहें - हम सभी प्रेम, आनंद और मौन के साथ रहते है। यह सही प्रार्थना है। इसे बार बार, जब भी मौका मिले दोहराते रहे। क्योकि इंसान की नकारात्मक सोचने और बोलने की बहुत पुरानी आदत है। फलतः वह गलती से गलत शब्द दोहराकर डबल प्रार्थनाएं करता रहता है। मानो, एक विद्यार्थी कहता है- मैं पास होना चाहता हूँ लेकिन इतनी पढाई मुझसे कैसे होगी? फिर दूसरी ओर वह कहता है- कही मैं Fail न हो जाऊ। यह हुई  दोहरी प्रार्थना।
           बहुत बार आप जो प्रार्थना करते है, उनका उल्टा असर होता है। लेकिन आपकी गलती कहा हो रही है, यह आपको पता नहीं चलता। इसलिए Positive पंक्तियों को कई बार दोहराया जाना चाहिए । जिन लोगो के जीवन में उल्टा असर आता है, वे नास्तिक बन, ईश्वर के प्रति आस्था खो देते है। इसलिए विचार नियम को समझकर, फिर जीवन में अमल करना बहुत आवश्यक है।
             विचार नियम की दृढ़ता प्राप्त करने से पहले आइये, एक और Example  पर गौर करें, जिसका अनुभव अनेकों ने किया होगा।
             मानो, आप शोरूम में नई गाडी (Four Wheeler या Two Wheeler) खरीदने गए है। उस शोरूम में बहुतसी अलग-अलग रंगो और Model की गाड़िया है। आप अपने मन-पसंद मॉडल और रंग की गाड़िया Book करके आते है। ऐसे में आपको पता है की कुछ दिनों  बाद वह गाडी आपको मिलनेवाली है।
            अब इस अवधि में क्या होता है? आपको हर जगह रास्ते पर उसी Model और रंग की गाड़िया ज्यादा से ज्यादा दिखने लगती है।  आपको आश्चर्य  होता है की अरे! अचानक उसी Models और उसी रंग की इतनी सारी गाड़िया कहा से आ गई?   जबकि वे तो पहले से ही थी, केवल आपको दुनिया में आने से आपको आज अचानक दिखने लग गई, आपकी दुनिया का हिस्सा बन गई। हालाँकि पहले भी आप रास्ते से आते-जाते थे। हजारो, लाखो बार वैसी गाड़िया आपके सामने से गुजरी थी मगर आपको नहीं दिखी थी। अब जैसे की अचानक कही से प्रकट होने लग गई। ऐसा क्यों हुआ?
           इसका कारण है - पहले आपकी उनमे दिलचस्पी नहीं थी। जैसे ही आपकी दिलचस्पी जग गई,  आपने गाडी की बुकिंग की, आपको वैसी गाड़िया दिखने लग गईं।
इस Example से आपने क्या सीखा? जिस विचार में  आपकी रूचि है, वही आपकी दुनिया बन जाती है। अतः आप भी अपने जीवन मेँ देखे, आपने अपने विचारो में क्या-क्या बुक करके रखा है। विचार नियम के अनुसार जो आपने बुक किया होगा, वही आपको दिखेगा, वही जीवन में आएगा। यदि आपने 'प्रेम, आनंद, मौन' की बुकिंग की है तो वाही मिलने वाला है।
         तो देर किस बात की है चलिए, आगे बढे और विचारो द्वारा बनाए सफलता, समृद्धि, आनंदित, सुखी, संतुष्ट भरे जीवन की सूची।

 Sandeep Maheshwari's Biography संदीप महेश्वरी का संक्षिप्त में परिचय
 

 और आखिर में Subscribe किजिये धन्यवाद।
    

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