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Friday, January 26, 2018

विकलांग महिला ने Mount Everest पर लहराया तिरंगा (Arunima Sinha Story In Hindi)



Arunima Sinha On The Top of Mount Everest
             नमश्कार दोस्तों मैं हूँ Shubham आप सभी का स्वागत करता हूँ इस Blog पर और हमेशा की तरह एक नए Article के साथ आपके लिए हाजिर हूँ। मेरे पिछले 2 साल के Blogging Career में 1st Time ऐसा हुआ है की ये Article लिखते लिखते मैं रोया हूँ। क्योकि दोस्तों संघर्ष सभी लोगो का अलग अलग होता है सभी लोग कठिन परिस्थिति से उठते है वह सभी अपने अपने जगह पर महान है। लेकिन आज हम जिस महिला के बारे में बात करने वाले है वह महिला असाधारण महिला है। उसने जो अपने Life में किया मेरे हिसाबसे शायद ही कोई कर सके। Article का Heading देख कर ही आपको समझ गए होंगे की मैं किस की बात कर रहा हूँ। यह वही महिला है दोस्तों जो एक समय में Volley Ball की National Player हुआ करती थी, ये वही महिला है जो एक पैर से विकलांग होने के बावजूद भी दुनिया का सबसे ऊँचा शिखर 'Mount Everest' की उचाईयों पर अपना भारतीय तिरंगा लहरा कर आयी। तो चलिए ज्यादा समय न लेते हुए सीधा मुद्दे पर आता हूँ।

Arunima Sinha Story In Hindi


             मनुष्य का स्वाभाविक गुण है की हर एक को मजा करेने में बहुत मजा आता है लेकिन शायद निजी कारन की वजह से बहुत कम लोग ही अपने निजी समय से कुछ वक्त निकाल कर उसको कर पाते है। Arunima  Sinha का जन्म 20 July 1988 में हुआ। उनकी पिता का नाम Omprakash है और माँ का नाम Lakshmi है। दोस्तों बात उस समय की है जब Arunima साल 2011 में Barely City जो Uttarpradesh में स्थित है, वहाँ से Train में Travel कर रही थी। बड़ी दुःर्भाग्याता से उसी Train को लुटेरों ने निशाना साध कर Train में बैठे हुए हर नागरिक को लूटने की कोशिश की। हर एक नागरिक उनको सब कुछ देने के लिए तैयार था जो उनके पास था। लेकिन बात जब Arunima पर आयी तब Arunima ने सोने की चैन जो उसके गले में थी वह देने से इंकार कर दिया। काफी संघर्ष के बाद भी वह लूटेरे नहीं माने और चलती Train से बड़ी दुर्गति से Arunima को Train से बहार फेंक दिया। Train से बहार फेंकते वक्त वही बाजू की Track से सामने से Train आ रही थी उसी Train से टकराकर Arunima दोनों Track के बीचो-बीच फस गयी। जब दोने Trains जाने के बाद Arunima ने अपने आप को Track से उठाने की कोशिश की तब उनको पता चला की उसका एक पैर कट गया है और पैंट में लटक रहा है और दुसरा पैर भी गिरने की वजह से Fracture हो चुका है। दोस्तों Imagine करो की बात रात के समय की है किसी अनजान और सुनसान जगह पर आप ऐसे हालात में हो तब आपको कैसा महसूस होंगा? फिर भी Arunima ने हिम्मत नहीं हारी वह किसी तरह अपने आपको समेट कर दोनों Track के बिच में ही फसी रही और मदत के लिए  ऊपर वाले से दुआ करती रही। शायद कोई आए और मुझे बचाए ऐसी उम्मीद लेकर वही Track के बिच रात भर अकेली पड़ी रही।


 

            कुछ समय गुजरने के बाद Arunima को अँधेरे में महसूस हुआ की मेरे पैर को चूहे (जो Railway Track पर आसानी से दिख जाते है) वही चूहे कुतड़ रहे है। उसको काफी दर्द हुआ लेकिन Arunima एक उम्मीद लेकर उस दर्द को सह रही थी। की कोई आये और मुझे बचाए। पूरी दर्दभरी और खौफ समान रात काटने के बाद किसी तरह सुबह हुई और आसपास के गाँव वालो को पता चला उसी दौरान Barely की सरकारी अस्पताल (Government Hospital) में Arunima को भर्ती करवाया गया। लेकिन आपको तो पता है की India के सरकारी अस्पताल में तो बहुत अच्छी तरह से अपना इलाज होता है 😛 दोस्तों ये हसने वाली बात है और शर्म की भी बात है की सरकारी Control रह कर भी सरकारी अस्पताल की हालात अभी भी बहुत ख़राब है ना किसी को चैन है वहा पे और ना ही System Process. उस Hospital में ना Blood Bank थी ना Equipments थे इलाज करवाने के लिए। उसी दर्दनाक घडी से लड़ते हुए Arunima ने हौसला नहीं छोड़ा और Doctor से बिना डरे कह दिया की मेरा पैर अगर ठीक नहीं हो सकता तो उसे काट दो। यह सुन कर Doctor के आँख में आसूं आ गये और शायद ही कुछ ऐसा हो की Patient को ठीक करने के लिए खुद Doctor ने हो कर अपना Blood दिया हो। ये सौभाग्य Arunima को मिला। उस अस्पताल में वहाँ के सब Staff ने मिलकर बहुत मदत की और जब बात पता चली की यह National Player है Volley Ball की तब उसको सरकारी मदत से Arunima को KJMC में Shift करवाया गया AIMS में, वहाँ पर Arunima 4 महीने रही और उसी वक्त अपने देश के बेशरम Media ने Arunima के बारे में सीधा कहा की Arunima ने Train से Suicide करने की कोशिश की। उसी news आने के दूसरे दिन पेपर में Headline थी की Arunima Without Ticket Travel कर रही थी T.T. आया तो Arunima Train से कूद गयी। ऐसे झूठे आरोप Arunima पर होने लगे।


             दोस्तों Arunima 4 Months तक bed पर थी और उठने की कोशिश कर ही रही थी। अपने जिंदगी और मौत के बिच की लडाई लड़ रही थी और ये Media में ऐसे आपत्त्यजनक बाते सुन कर Arunima पर क्या गुजरी होंगी आप अच्छी तरह से Imagine कर सकते है। उन्होंने अपनी बात रखने की भी कोशिश की और कहाँ की Media और Newspaper  में जो बाते बताई जा रही है वो सब झूठी है। मुझे लूटेरो ने फेका है फिर भी कोई Arunima पर यकीन नहीं कर रहा था क्योकि वह मध्यम वर्गीय परिवार से थी। आखिर Arunima ने उनको अच्छी तरह से जवाब देने की ठान ली। और अस्पताल के Bed पर पड़े पड़े ही अपना लक्ष्य Decide किया जो की करोडो लोगो के सपनो जैसा था और वो था Mount Everest को Climb करने का। Arunima ने उसी वक्त कहाँ की "आज आपका वक्त है आप जितना मर्जी चाहे उल्टा सीधा बोल लो लेकिन आने वाला वक्त मेरा होगा और तब मैं तुमको बतांऊगी की मैं कौन हूँ" ultimately ये message उन लोगो (Media) को था जो Arunima पर गलत आरोप लगा रहे थे।


 

             Arunima कहती है की Aims के Bed पर जब लोग सोचना बंद कर देते है तब मैंने सोच लिया था की मुझे Mount Training करनी है। उसी सिलसिले में Sponsors ढूंढने के लिए जब Arunima लोगो के पास पहूँची तब लोगो ने Arunima को पागल ठहराया और कहाँ की पैर तो ठीक नहीं है और तुम क्या Mountain चढ़ोगी। पहले ठीक से चलना सिख लो फिर आना हमारे पास। Hospital से Discharge होने के बाद Arunima के भाई ने Suggest किया की हम Bachindra pal से मिलने जायेंगे जो 1984 में Mount Everest को Climb करने वाली पहली भारतीय महिला है और साथ ही वह Tata Steel Adventure Foundation की Chief। उनसे मिलने के बाद Arunima को हौसला आया क्योकि सबसे पहले Bachindra pal Arunima को देख कर रो पड़ी और उन्होंने Arunima को बताया की Everest तो तुम अपने Mind में पहले ही चढ़ चुकी हो अब बस लोगो को दिखा ने की बारी है। बोलने से कुछ नहीं होंगा अब बस तूम कर के दिखाओ। क्योकि कहने और करने में बहुत फर्क होता है।



        तक़रीबन 8 महीने लगातार Training लेने के बाद आखिर वो दिन आगया जब Arunima को Mount Everest चढ़ना था। Everest चढ़ने के लिए Permission लेनी पड़ती है संबधित guide भी करना पड़ता है जिसे क्षीरपा कहते है जो अपने साथ Mount Everest को चढ़ने में मदत करता है। Artificial पैर होने के कारण क्षीरपा ने Arunima को साफ़ इंकार कर दिया लेकिन Bachindra Pal madam ने काफी Convince किया तब क्षीरपा मान गए। तब से Arunima का सफर शुरू हुआ इतिहास रचने का। बहुत सारी उम्मीद को ज़िंदा रखते हुए Arunima ने कदम-कदम अपने हौसलों को बुलंद रखते हुए धीरे-धीरे बढ़ाया। Everest में 4 Camp होते है। पहला Camp Arunima ने आसानी से पार किया जब बारी दूसरे और तीसरे Camp की आयी तब मुश्किलें शुरू हुई। दूसरे camp तक पहुँचते-पहूँचते Blue Color के Ice से गुजरना पड़ता है और तीसरे Camp तक पहूँचते-पहुँचते Ice का color Green हो जाता है। जहाँ तक हमने आज तक सिर्फ White Color का Ice देखा है। 😄 कहने का मतलब यही है दोस्तों की Imagine करो कितनी ठंडी होती है वहाँ पर की बर्फ का कलर भी हरा-नीला रहता है। Arunima कहती है की camp 2 के बाद Temperature -60 से -80 Degree भी चला जाता है। Oxygen की कमी भी महसूस होती है। वह कहती है की कोई कोई camp 3 के पहले ही वापस आजाता है ऊपर तक कोई नहीं जाता। Arunima के साथ 6 लोग थे उसमे से 2 लोग Camp 3 से वापस निचे लौट आये थे। Arunima Camp 3 में विश्राम कर रही थी उस वक्त वक्त उनके साथ वाले लोगो में से एक आदमी के फेपड़े में ठंडी के कारण पानी जम गया और उसकी मौत उसी क्षण हो गयी Arunima कहती है की मेरे सामने वह आदमी गुजर गया यह दृश्य मेरे लिए काफी डरावना था। साथ में एक और लड़की थी उसकी भी मौत हो गयी थी क्योकि उसने Mount Everest के Rules को Follow नहीं किया था।




             Camp 3 से विश्राम करने के बाद रात के समय Arunima और क्षीरपा Camp 4 के लिए रवाना हो गये। यह चढ़ाई रात को ही करनी पड़ती है क्योकि दिन में बर्फ पिघलने के कारण ऊपर चढ़ने में परेशानी होती है। camp 3 से camp 4 '3500' feet पर है। Camp 3 से Camp 4 जाने के लिए Normal इंसान को 18 से 20 घंटे लगते है। उसी तुलना में Arunima को 28 घंटे लगे थे क्योकि उनका एक पैर Artificial था और -80 Degree तापमान में वह बार बार उनके शरीर से अलग हो रहा था। क्योकी उसी को ठीक करते हुए चढ़ने के कारन Arunima को 28 घंटे लगे थे Camp 4 पहूँचते-पहूँचते। उसी दौरान Arunima बताती है की मैं जब Camp 4 का सफर पार कर रही थी तब एक बांग्लादेशी को मैंने देखा वह ठंडी से काँप रहा था और आखिरी साँसे ले रहा था। मुझे बुरा लगा क्योकि वह हमारी ग्रुप की तरफ इशारा कर रहा था लेकिन हम कर भी क्या सकते थे उस वक्त। और उसने अपना शरीर छोड़ दिया उसको प्रणाम करते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया। तभी मेरे बचे हुए Group members ने हार मान ली वह सब देख कर और बोले की हम वापस जा रहे है। वो वापस चले गए और Arunima ने उसकी Death body को लांघते हुए आगे बढ़ गयी। उसके बाद हिलेरी स्टेप तक आगयी और उसी वक्त क्षीरपा ने Arunima से कहाँ की अभी वापस चलो क्योकि Arunima को 28 घंटे लगे थे Camp 4 तक आते आते और उसी देरी के कारन Arunima का Oxygen ख़तम होने पर था। लेकिन Arunima ने हार नहीं मानी फिर भी आगे बढ़ती गयी और आखिर Everest Submit उसने कर लिया और इतिहास रच दिया।


                Arunima कहती है की अपने अंदर की काबिलियत को जल्द से जल्द पहचानो। Arunima ने जो कुछ करके दिखाया है वह करोडो लोगो की सोच से परे है। यही सफर के साथ साथ Arunima विकलांग बच्चो के लिए Sport academy भी चलाती है। जिसका सिलांन्यास रतन टाटा कर चुके है। Arunima Sinha को भारत सरकार की तरफ से 2015 में 'पद्मश्री' पुरस्कार भी दिया गया है। Arunima Everest Asia, Kilimanjaro, Africa Europe, Australia में Jasco, Argentina में mount Aconcagua तह सब World के Highest Peak point भी वह Submit कर चुकी है और अभी Antarctica & Mount Mackinley North America ये peak point भी Submit करने की तैयारी कर रही है। Arunima को taginlife.com की तरफ से Future के लिए हार्दिक शुभकामनाए और इसी गरम-जोशी के साथ अलविदा करता हूँ धन्यवाद।
           
             

2 comments:

  1. Bro Bahut Accha Laga Ye Article padhkar kafi improovment hua hai likhne me pehlese jyada aise hi tarakki karte raho ane waale kl ke bahut bade admi ho tum

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