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Tuesday, January 16, 2018

4 Types Of Satisfaction & सफलता के सूत्र From श्रीमद्भवत गीता

 

          नमश्कार दोस्तों मैं हूँ Shubham आप सभी का स्वागत करता हूँ इस Blog पर और हमेशा की तरह एक नई उमंग के साथ आपके लिए हाजिर हूँ। दोस्तों अक्सर हम अपने जिंदगी से ख़ुशी चाहते है, समृद्धि चाहते है, शांति चाहते है, तरक्की चाहते है। लेकिन क्या आपको पता है? इन सब बातों का सार कैसे और कहाँ से आता है? नहीं ना? चलिए जानते है श्रीमद्भागवत गीता के माध्यम से जो सबकी जननी है।


           Article की शुरुआत में मैं आपको बताता हूँ की ख़ुशी हमको तब मिलती है जब हम सोची हुई चीजो को पाते है। समृद्धि हमको तब मिलती है जब सामाजिक जीवन में अपना खुद का अस्तित्व अच्छा हो। शांति हमें तब मिलती है जब हम अपने खुशहाल जिंदगी से संतुष्ट (Satisfy) हो और रही बात तरक़्क़ी की तो चलिए वो भी बता देता हूँ। तरक्की हमे तब मिलती है जब ख़ुशी, समृद्धि, शांति अपने जीवन में हो। और इन सब बातों को पाने की जड़ श्रीमद्भागवत गीता में छिपी हुई है जिसे अक्सर लोग पढ़ना पसंद नहीं करते। मैं ये सब इसलिए जनता हूँ क्योकि मैं भी पढ़ना पसंद नहीं करता था। लेकिन हालात अब बदल चुके है मेरे। 😃 क्योकि मैं जान चुका हूँ की सफलता अगर चाहिए तो वो करना चाहिए जो हमको अच्छा नहीं लगता। Like...... श्रीमद्भागवत गीता पढ़ना। चलिए आगे बढ़ते है।



           
                जिंदगी में वो सब कुछ पाना है जो मैंने उपर दिए गए अनुच्छेद (Paragraph) में कहा तो उसका सबसे आसान तरिका है जो मैं बताने वाला हूँ।

सबसे पहले अपने अंदर संस्कार Develop करो जिस क्षेत्र में आपको आगे बढ़ना है उससे Related.
  1. संस्कार अच्छे रहे तो अपने आप विचार (Thinking) Develop होगा।  
  2. विचार अच्छा रहा तो अपने आप आपका व्यवहार अच्छा रहेगा सबके साथ। व्यवाहर अपने आप Develop होगा।  
  3. संस्कार विचार और व्यवहार अच्छा रहा तो अपने आप सामाज में आपका प्रचार (Fame, Publicity) भी बढ़ेगा। 
  4. और ये चारो चीजे आने के बाद व्यापार अपने आप बढ़ेगा क्योकि अक्सर मैंने देखा है और खुद Realize भी कर रहा हूँ की व्यापार (Business) को बढ़ाने के लिए प्रचार (Contacts) बहुत जरुरी है। 
 Ultimately Explain करने की कोशिश करू तो कुछ ऐसा आएगा 

(संस्कार → विचार → व्यवहार प्रचार → व्यापार) 
"फिर होगा आपका सपना साकार" 😋 
            
           इन सब बातों का प्रमाण मुझे श्रीमद्भागवत गीता के माध्यम से मिला। इसके बाद आता है Satisfaction. 
जानबूझके ये बात बताने जा रहा हूँ क्योकि आदमी सफलतापूर्वक अपने सपनो की सीडी तो चढ़ लेता है लेकिन कभी समाधानी नहीं रहता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुझे इस विषय का प्रमाण श्रीमद्भागवत गीता के तीसरे अध्याय में मिल गया। जिसको आप पढ़ सकते है "यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः ।
आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते ॥
"
         
भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान दिया था  उसमे उन्होंने कहाँ था की आदमी की संतुष्टि (Satisfaction) केवल चार बातों से निगडित है। जो मैंने संक्षिप्त पूर्वक निचे दी है।


1. शारीरिक संतुष्टि (Bodily Satisfaction)
              शारीरिक संतुष्टि सबसे घातक और भयानक साबित होती है। जैसे शराब पीना, Sex करना, मैथुन करना। आदि इन सब बातो का अगर आप निजी जिंदगी में हद से ज्यादा प्रयोग करोगे तो आपका विनाश निश्चित है। इसलिए कृष्ण कहते है की इस संतुष्टि में खाली क्षणिक सुख है यानी आसान भाषा में कहना चाहूँ तो यह संतुष्टि सिर्फ Temporary है Permanent नहीं और इन बातो से आप अच्छी तरह से वाकिफ हो ऐसा मैं मान कर चलता हूँ। 

2. मानसिक संतुष्टि (Mentally Satisfaction)
                मानसिक संतुष्टि को Explain करना चाहूँ तो आपको ये सब बाते पता होंगी जैसे गाना सुनना, कविता लिखना, किसी को Movies देखने में मजा आता है, किसी को घूमने में मजा आता है तो किसी को अलग अलग Books पढ़ने में। आप समझ गए होंगे की मानसिक संतुष्टि क्या होती है। इसलिए आगे बढ़ते है। 

3. बौद्धिक संतुष्टि (Intellectual Satisfaction)
                 बौद्धिक संतुष्टि बहुत काम की चीज है जिसका अनुभव मैं भी ले पा रहा हूँ। बौद्धिक संतुष्टि वो चीज है जिसमे की आप किसी क्षेत्र में खोये हुए रहते हो। आपको दुनिया से कुछ लेना देना नहीं रहता बस आप अपने अपने काम में रहते हो इसमें आपको भूक-प्यास और दर्द का अहसास नहीं होता। इसे बौद्धिक संतुष्टि बोलते है जिसे सदियो से बड़े-बड़े वैज्ञानिक और संशोधनकर्ता Practice करते है।

4. आध्यात्मिक संतुष्टि (Spiritual Satisfaction)
                   कृष्ण कहते है की यह संतुष्टि सर्वोत्तम सर्वोभाव है। यह Permanent Satisfaction है यह एक बार आया तो ये कभी नहीं जाएगा। जैसे की Meditation, Yoga, Spiritual level पर जो जो बाते है उसको Daily Practice करना इसीको आध्यात्मिक संतुष्टि बोलते है। जो हमको अपनानी ही चाहिए।



              हम खाली शरीर संतुष्टि में लगे रहते है या फिर ज्यादा से ज्यादा मानसिक संतुष्टि तक पहुँचते है। लेकिन बहुत ही कम और कुछ चंद लोग ही रहते जो Permanent संतुष्टि की ओर निकलते है यानी की बौद्धिक और आध्यात्मिक संतुष्टि। जो इस संतुष्टि की ओर जाता है उसे दुनिया सफल इंसान के रूप में देखती है।
               इसी कम-ज्यादा बातो के साथ मेरे इस Article को पूर्णविराम लगाता हूँ और सलाह देता हूँ आपको की आप भी अपने आप को पहचाने और समझे की आप किस level के Satisfaction पर है? Bodily, mentally, intellectually या फिर Spiritually? Thank You 😊   

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