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Monday, May 21, 2018

धर्म क्या है? What is Religion?


            नमश्कार दोस्तों मैं हूँ Shubham आप सभी का स्वागत करता हूँ इस Blog पर और हमेशा की तरह एक नए Article के साथ आपके लिए हाजिर हूँ। दोस्तों काफी दिनों बाद समय  मिला आपसे रूबरू होने का इसी बात को ध्यान में रखते हुए चलिए आगे बढ़ते है। Post का Tittle पढ़ कर ही समझ गए होंगे की आज किस विषय पर बात होने वाली है। धर्म क्या है? What is Religion? यह विषय बढ़ते हुए धार्मिक लड़ाइयों को देख कर सोचा इस बात को Blog के माध्यम से छेड़ ही दू, तभी यह लिखने की मुझे Inspiration मिली और जो सच्चाई है वह मैं साफ़ साफ़ कहने जा रहा हूँ जो की कुछ Research के Base पर है और कुछ मेरे खुद के आँखों देखे Experience पर है उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी।



            हम हिन्दू है, हम मुसलमान है, हम क्रिस्टियन है, हम सिख है, हम जैन है, हम बौद्ध है यह Words तो हम बचपन से ही सुनते आ रहे है। कहीं न कहीं ऐसा लगता है की हम बटे हुए  है। धर्म का असली मतलब है की कर्तव्यों का पालन करना। हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई क्रिस्टियन यह तो साम्प्रदाय है लेकिन कुछ लोगो ने अपने मतलब के लिए पुराने जमाने में धर्म का नाम दे कर अपना मतलब साधा था और अपने मन की चलाई थी और अपना अधिकार लोगो पर थोपा था, जैसे भारत देश में बहुत से राजा आचुके थे (मुघल) उन्होंने इस्लाम धर्म का स्वीकार करने को कहा ऐसे ही दार्शनिक मान्यताओं में लोग बटने लगे और एक दूसरो से नफरत करने लगे, एक दुसरो के प्रति ईर्ष्या का भाव, घृणा निर्माण हुई जो सिलसिला आज तक चलता आरहा है। मैं तो खाली धर्म की बात कर रहा हूँ लेकिन अब तो हम विविध जातियों में बाटे हुए है और इसी चक्कर में मानवता और इंसानियत को नष्ट किये जा रहे है। मेरा एक सवाल है उन लोगो से जो अपने आपके प्रति धर्म के दाखिले देते रहते है। जिस धर्म का तुम अपने आपको बताओ की आप उस धर्म के कैसे हुए मतलब Proof करो की तुम उस धर्म के कैसे हुए ?


 

              यह सवाल मुझे अंदर ही अंदर परेशान किये जा रहा था तब मैंने रिसर्च करना शुरू किया तब कुछबाते ऐसी सामने आयी की इस्लाम साम्प्रदाय हो या फिर हिन्दू हो या फिर क्रिस्टियन, जैन, सिख, बौद्ध हर साम्प्रदाय अपने आप में एक हीरा है कोई साम्प्रदाय लोगो को लड़वाना नही सिखाता बात तब गलत होती है जब लोग धर्म ग्रंथ में लीखी हुई बातो का गलत मतलब निकालते है और लोगो को गुमराह करते है। इस बात का विशिष्ट प्रमाण देने हेतु आपको उदाहरण दू तो....... सबसे बड़ा उदहारण terrorism है। यहां मुझे ऐसा लगता है की मुझे कुछ Explain करने की जरुरत नही है आप ऐसे विषयो में समझदार है ऐसा मैं समझता हूँ।  😊
               यह तो हुई साम्प्रदाय की बात लेकिन धर्म क्या है इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करते है। धर्म वो है जो सार्वजनिक हो, शुद्ध हो यानी सबके लिए हो मेरे हिसाबसे मानवता ही सबसे शुद्ध धर्म है।  अगर इसको और आसान भाषा में समझाना चाहु तो इंसानियत पालन करना यही हमारा कर्त्तव्य है और यही हमारा धर्म है। जैसे श्रीमद्भागवत गीता में भी कहा है "धर्मक्षेत्रेकुरुक्षेत्रे" अगर ये शब्द का विभाजन किया जाए तो कुछ ऐसा बनेगा


धर्म + क्षेत्रे + कुरुक्षेत्रे


            जब कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडवो में जब युद्ध हो रहा था तब की परिस्थिति का वर्णन भगवान् श्रीकृष्ण अपने मुखारविंद से  श्रीमद्भगवद्गीता में करते है "धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ॥१-१॥" यानी कर्तव्य भूमि कुरुक्षेत्र है, धर्म यानी कर्त्तव्य, जैसे एक मनुष्य अपने घर की जिम्मेदारी उठता है अपनी पत्नी और बच्चो को खुश रखता है पालन पोषण करता है उसी प्रकार उस मनुष्य का वह कर्त्तव्य हुआ यानी धर्म हुआ अपने परिवार के प्रति मतलब इस बात को हम ऐसे भी कह सकते है की वह परिवारिक धर्म निभा रहा है यानी वह अपने परिवार का कर्त्तव्य निभा रहा है।
 

            वैसे उदाहरण देने का प्रयास करूंगा तो देने के लिए बहुत से उदाहरण है लेकिन Article लंबा हो जाता है फिर कुछ लोग पूरा पढ़ते नहीं है इसलिए कम उदाहरण देकर आपको समझाने का पूरा प्रयास किया। तो दोस्तों धर्म का असली Meaning आप समझे ही होंगे यही आशा करता हूँ और जाती व्यवस्था जो आज है वह कैसे विभाजित हुई इसके बारे में चर्चा अगले Article में करते है। तब तक के लिए नमश्कार और यदि आपको इस Article से Related कोई भी सवाल बनता है तो आप मुझे comment के जरिये पूछ सकते है। आखिर में यही कहूंगा की इंसानियत ही हमारा सबसे बड़ा धर्म है और हम सब एक है हर साम्प्रदाय के प्रति आत्मसन्मानता की भावना रखता हूँ क्योकि हर साम्प्रदाय में सिर्फ इंसानियत के बारे में ही बताया गया है। इसलिए उनका सन्मान करते हुए मेरी कलम को यही रोखता हूँ धन्यवाद। 

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