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Tuesday, September 12, 2017

Introduction Of श्रीमद्भागवत गीता


            नमश्कार दोस्तों मैं हूँ Shubham आप सभी का स्वागत करता हु इस Blog पर हमेशा की तरह एक नई उमंग के साथ आपके लिए Article लेकर आया हूँ। आज के Article का विषय Title देखते ही आप समझ गए होंगे तो आईये ज्यादा समय न लेते हुए Article की शुरुआत करते है। इससे पहले मैं आपसे दरख्वास्त करूंगा की आप इस Article को ध्यान से पढ़े तथा आपको समझने में आसानी होगी।
           श्रीमद्भागवत गीता श्रीकृष्ण  भगवान् के मुखारविंद से आयी हुई है।  श्रीमद्भागवत गीता आत्मा  उद्धार के  लिए है जो औषध के रूप में  मनुष्य के विषाद को मिटाने वाला एक अदभूत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ज्ञान है जो मनुष्य को अपने आप से पहचान करवाता है। श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत के अंतर्गत में है जिसे महर्षी वेदव्यासजी द्वारा लिखित किया गया था। श्रीमद्भगवद्गीता वो प्रश्नो का उत्तर देती है जिसे आत्मा, परमात्मा और अपने आपमें सुलझाना मुश्किल होता है। श्रीमद्भागवत गीता में मनुष्य के लिए कई अनेक प्रकार के मार्गदर्शन है जिसे कर्मयोग द्वारा, ज्ञान द्वारा और भक्ति के द्वारा मनुष्य को मार्गदर्शन करवाती है। जो हर मनुष्य की आवश्यकता है। यह मनुष्य के सामने Merits और Demerits यानी आसान भाषा में समझाना चाहु तो मनुष्य को क्या करना चाहिए और क्या नहीं इन सब बातो का ज्ञान श्रीमद्भागवत गीता हमको देती है।


   

           श्रीमद्भागवत गीता मनुष्य को सुख, शांति और आनंद से जीने का एहसास दिलाती है। जिसे हर जाती तथा धर्म के व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव ना करते हुए सबको संमार्ग देती है। और अपने आपको पहचानने का एक दिव्य अवसर प्रदान करती है। इसी के साथ दुःखो के समुद्र से मनुष्य को एक नौका के रूप में तार देती है। श्रीमद्भागवत गीता का महत्व इतना अनमोल है जिसे Describe करना मुश्किल है। श्रीमद्भागवत गीता ने महाभारत के समय अर्जुन के विषाद (दुःख) को समाप्त किया है। और जो व्यक्ति इसे दिल से पढ़ते है या स्मरण करते है उनको भी अपने जीवन का उद्धार और जीवन के विपित्त परिस्थितियों से दूर करने का सौभाग्य श्रीमद्भागवत गीता देती है। यह ज्ञान का एक अपार समुद्र है जिसे कितनी भी बार पढ़े हर वक्त कुछ नया ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मनुष्य को प्राप्त होता है। यह मनुष्य के Tension और Anxiety (चिंता) को दूर करने वाली एक अदभुत किताब है।



 

            मनुष्य की समाजिक अवस्था जिसमे वो अपने आपके लिए समय नहीं निकालता और दुनिया के अनेको (Negative और Positive) विचारो में फसे हुए इंसान को सही मार्गदर्शन देने वाली एक अदभूत विद्या है। मनुष्य अपने जीवन का निर्वाह करने के लिए अनेक प्रकार के यतन करते है और अपने आपको इस परिस्थिति में भटका देते है जहा से निकलना बहुत मुश्किल होता है। वही से उसकी ज्ञानशक्ति लुप्त हो जाती है। और वह मनुष्य से ज्यादा जानवर की तरह अपना जीवन व्यतीत करने लग जाता है। उसे ना ढंग से भोजन करने का तरीका रहता है ना ही उसे  जीवन में कुछ करने का, मनुष्य को जीवन में एक-दूसरो के साथ किस तरह व्यवहार करना चाहिए यह भी वह भूल जाता है। इन्ही सब बातो को ध्यान में रखते हुए वह दूषित वातावरण में खो जाते है जहाँ उनका अपने आप पर और भगवान् पर भी विश्वास नहीं रहता। जिसको मनुष्य अपनाने पर  वह मनुष्य धर्म क्या है और अधर्म क्या है? , सही क्या है और गलत क्या है? वह नहीं समझ पाते है। वह अपने आपसे और अपने प्रिय जनो से वैर्य (Hate) करने लगते है। यह सभी Problems को दूर करने के लिए अपने जीवन में श्रीमद्भागवत गीता Help करती है। क्योकि इन सब बातो का हल सिर्फ और सिर्फ एकमात्र श्रीमद्भागवत गीता में है।
             आईये एक श्लोक के बारे में थोड़ा संक्षिप्त में समझते है.......

 यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
     तत्र श्री विजयो भूतिध्रुवः नीतिर्मतिर्मम ।।"
       
            ये श्लोक हमें मार्गदर्शन करवाता है की जहाँ योगेश्वर कृष्ण और धनुर्धारी अर्जुन के संवाद के रूप में जो श्रीमद्भागवत गीता प्रगट हुई है जो मनुष्य के ज्ञान को निर्मल करने का प्रयास करवाती है। यह एक मनुष्य के जीवन में समृद्धि और लक्ष्य को विजय की तरफ ले जाने वाला एक उत्तम और परिपूर्ण मार्ग है। राष्ट्र और समाज की उन्नति में हर मनुष्य का  योगदान (Contribution)होना चाहिए और हर मनुष्य का यह दाइत्व बनता है। यह सब अनमोल विचारो का संग्रह हमें श्रीमद्भागवत गीता में मिलता है। जिसे अध्ययन करते हुए हर आम इंसान उत्तम मनुष्य बनने की ओर निकल पड़ता है। इस दिव्य ग्रन्थ के हर पहलू हमारे जीवन को तरक्की की ओर ले जाते है। मनुष्य को अच्छे और बुरे वक्त के संकेत इस दिव्य ग्रन्थ का पठन तथा अध्ययन करते हुए एक आयने की तरह मिल जाते है। इसी के साथ उसे सही और सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा (Inspiration) मिलती है। वह अपने जीवन की मुश्किल से मुश्किल तथा हर तरह की समस्या का हल आसानीसे निकाल सकता है और अपना जीवन सुखमय बना सकता है। श्रीमद्भागवत गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जिसे अध्ययन करने से तथा संशोधन करने से हमें मार्गदर्शन मिलता है। कुछ लोग इसका पूजन भी करते है।



 


               कुछ विद्वान लोग श्रीमद्भागवत गीता को भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा दिव्य वाणी के रूप में समझते है। वह इस दिव्य ग्रन्थ को अनंत रूप के नजरिये से देखते है। इसमें और भी कुछ रहस्यमयी बाते छुपी हुई है, जिसे कुछ विद्वान और भी संशोधन करने का प्रयास निरंतर कर रहे है। इस ग्रन्थ को पुरे World में जीवन को सुखमय बनाने का एक अनमोल साधान माना गया है। सम्बंधित Article को लिखने में मुझे डॉ. श्यामदास पूरणदास उदासीन इन्होने अपनी अनमोल वाणी के माध्यम से मुझे मदत की। उनका मैं मेरे Blog के माध्यम से तहे दिल से शुक्रियादा करता हूँ । इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैं अपनी कलम को यही रोखता हूँ धन्यवाद। 😇 

और संक्षिप्त में जानने के लिए स्वयं श्रीमद्भगवतगीता को आज ही मंगवाए, मंगवाने के लिए निचे दी गयी Link पर Click किजीये।


          

1 comment:

  1. Great stuff man. Salutations to your Swamiji

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